हैदराबाद: इन दिनों दुर्लभ अर्थ मैग्नेट की कमी चल रही है, जिसके चलते भारत का मोटर व्हीकल बाजार धीमा पड़ सकता है. दुर्लभ अर्थ मैग्नेट जो लागत में कम होता है, लेकिन वाहनों की कार्यक्षमता में महत्वपूर्ण हैं. ये विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन-चालित वाहनों के लिए बेहद जरूरी हैं. ऐसे में यदि चीन के निर्यात प्रतिबंध और शिपमेंट मंजूरी में देरी जारी रहती है, तो देश के मोटर व्हीकल क्षेत्र के लिए एक प्रमुख आपूर्ति-पक्ष जोखिम के रूप में उभर सकते हैं.
Crisil Rating की एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि दुर्लभ अर्थ मैग्नेट आपूर्ति श्रृंखला में एक महीने से ज्यादा समय तक चलने वाला व्यवधान पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च को प्रभावित कर सकता है. इसके साथ ही उत्पादन को प्रभावित कर सकता है और भारतीय ऑटो सेक्टर की ओवरऑल विकास गति को प्रभावित कर सकता है.
TVS iQube इलेक्ट्रिक स्कूटर (फोटो – TVS Motor)
यह पूर्वानुमान ऐसे समय में आया है, जब चीन से दुर्लभ अर्थ मैग्नेट खरीद लाइसेंस की प्रतीक्षा कर रही भारतीय कंपनियों की संख्या दो सप्ताह में लगभग दोगुनी हो गई है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वेटिंग पीरियड लिस्ट में कंपनियों की संख्या दो सप्ताह में 11 से बढ़कर 21 हो गई है. इन कंपनियों में Bosch India, Marelli Powertrain India, Mahle Electric Drives India, TVS Motor और Uno Minda जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं.

इलेक्ट्रिक बस (फोटो – ETV Bharat)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुर्लभ अर्थ मैग्नेट स्थायी मैग्नेट सिंक्रोनस मोटर (PMSM) का बेहद जरूरी पार्ट है, जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में उनके हाई टॉर्क, ऊर्जा दक्षता और कॉम्पैक्ट आकार के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसके अलावा हाइब्रिड वाहन में भी कुशल प्रोपल्शन के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा, दुर्लभ अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक पावर स्टीयरिंग और अन्य मोटराइज्ड सिस्टम के लिए ICE वाहनों में किया जाता है.

Mahindra BE 6 और Mahindra XEV 9e (फोटो – Mahindra & Mahindra)
रिपोर्ट के अनुसार भारत ने पिछले वित्त वर्ष में अपने 540 टन मैग्नेट आयात का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा चीन से प्राप्त किया था. अब भारतीय बाजार ने इसका असर महसूस करना शुरू कर दिया है. मई 2025 के अंत तक, भारतीय कंपनियों के लगभग 30 आयात अनुरोधों को भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन अभी तक चीनी अधिकारियों द्वारा किसी को भी मंजूरी नहीं दी गई है, और कोई शिपमेंट नहीं आया है.
इस संकट के बारे में बताते हुए, Crisil Rating ने कहा कि मंजूरी प्रक्रिया में कम से कम 45 दिन लगने के कारण, इस अतिरिक्त जांच ने मंजूरी में काफी देरी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि “और बढ़ते बैकलॉग ने मंजूरी की प्रक्रिया को और धीमा कर दिया है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं सख्त हो गई हैं.”

MG ZS EV (फोटो – MG Motor)
दुर्लभ अर्थ मैग्नेट की कमी से भारत में वाहन उद्योग हो सकता है धीमा
चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में भारतीय यात्री वाहन बाजार की मात्रा में दो से चार प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों की वृद्धि 35-40 प्रतिशत हो सकती है, हालांकि यह कम आधार पर होगी. इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की वृद्धि 27 प्रतिशत हो सकती है, जो कुल दोपहिया वाहनों की वृद्धि से लगभग 10 प्रतिशत अधिक है. हालांकि, यदि दुर्लभ अर्थ मैग्नेट आपूर्ति श्रृंखला संकट जारी रहती है, तो यह गति और कम हो सकती है, खास तौर पर ईवी सेगमेंट में यह बहुत कम हो सकती है.