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श्रीलंका सेना प्रमुख ने IMA POP में सैम मानेकशॉ को किया याद, जीसी बने अफसर तो दिखा उल्लास


देहरादून (नवीन उनियाल): भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में भारी गर्मी के बीच पासिंग आउट परेड और पीपिंग सेरेमनी को संपन्न करवा लिया गया. पीओपी के दौरान अकादमी में ऐसे कई मुख्य आकर्षण रहे, जिनको सभी ने देखा और इन पलों का आनंद भी लिया. भारतीय सैन्य अकादमी में POP कार्यक्रम को लेकर ये है मिनट टू मिनट का विवरण.

आईएमए पासिंग आउट परेड संपन्न: जून महीने में तापमान ज्यादा होने और सुबह जल्द रोशनी हो जाने के कारण पासिंग आउट परेड का समय भी सर्दियों के मुकाबले पहले रखा जाता है. शनिवार 14 जून को सुबह करीब 6:30 बजे ही इस बार पासिंग आउट परेड की शुरुआत कर दी गई. इस दौरान परेड कमांडर जेंटलमैन कैडेट्स की टुकड़ी के साथ चेटवुड भवन के सामने पूरे अनुशासन के साथ पहुंचते हैं.

रिव्यूइंग ऑफिसर का आईएमए कनेक्शन: इसके बाद भारतीय सैन्य अकादमी के कमांडेंट और रिव्यूइंग ऑफिसर ग्राउंड पर बारी बारी से पहुंचते हैं, इस बार रिव्यूइंग ऑफिसर को लेकर इसलिए भी ज्यादा उत्साह था, क्योंकि श्रीलंका के सेना प्रमुख और इस समारोह के रिव्यूइंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल बाइकेजीएम लासंथा रोड्रिगो भी अकादमी से ही कमीशन हुए थे.

अनिल नेहरा को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर: अपने तय समय पर कदमताल करते हुए जेंटलमैन कैडेट्स आगे बढ़ते हैं, और 06:38 पर बैंड की इन्हीं धुनों के साथ जेंटलमैन कैडेट्स ग्राउंड पर परेड शुरू कर देते हैं. जिसे देखकर यहां मौजूद सैन्य अधिकारी और परिजनों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इनका स्वागत किया. करीब 20 मिनट की इस परेड के बाद बारी आई अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान बेहतर परफॉर्म करने वाले जेंटलमैन कैडेट्स को सम्मानित करने की. श्रीलंका के सेना प्रमुख बाइकेजीएम लासंथा रोड्रिगो ने स्वार्ड ऑफ़ ऑनर और सिल्वर मेडल पाने वाले अनिल नेहरा को सम्मानित किया. इसके बाद रोनित रंजन को गोल्ड मेडल मिला, जबकि अनुराग वर्मा को ब्रॉन्ज मेडल दिया गया.

फील्ड मार्शल स्वर्गीय मानेकशॉ के किया याद: इस दौरान श्रीलंका के सेना प्रमुख ने भारतीय सेना में अफसर बनने वाले इन GC को संबोधित भी किया. श्रीलंका के सेना प्रमुख ने कहा कि वह अकादमी का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं कि आज अकादमी ने उन्हें रिव्यूइंग ऑफिसर के रूप में परेड की सलामी लेने का मौका दिया. उन्होंने अपनी पुरानी यादों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने इसी गौरवशाली संस्थान से प्रशिक्षण लिया है. हाल ही में श्रीलंका के भीतर आंतरिक परेशानियों पर बोलते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि अकादमी प्रत्येक तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए बेहतर प्रशिक्षण देती है. सेना प्रमुख ने प्रशिक्षण पूरा करने वाले जैंटलमैन कैडेट से कहा कि अकादमी के बाद उनकी एक नई शुरुआत होने जा रही है, जिसके लिए अकादमी ने उन्हें बेहतर प्रशिक्षण दिया है. फील्ड मार्शल मानेक शॉ का अपने संबोधन में दो बार नाम लेते हुए उन्होंने उनके विचारों और प्रेरणा से सीख लेने की भी उन्होंने बात कही.

अंतिम पग के लिए बढ़े कदम: इसके बाद करीब 08:05 पर चेटवुड भवन के सामने से अंतिम पग की तरफ GC बढ़ चले. चेटवुड भवन के दरवाजे खुले और यह सभी कैडेट्स कदमताल करते हुए इसके भीतर चले गए, जिसे अंतिम पग का नाम दिया गया है.

कंधों पर सजे सितारे: इसके बाद करीब 1 घंटे के ब्रेक के बाद 9:05 पर पीपिंग सेरेमनी और ओथ सेरेमनी की शुरुआत कर दी गई. इस बार खास यह रहा कि सेना के अफ़सर के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ का ये कार्यक्रम खुले मैदान की जगह खेत्रपाल भवन के अंदर किया गया. मुख्य अतिथि और सेना के अफसरों की मौजूदगी में शपथ कार्यक्रम हुआ. साथ ही भवन के अंदर ही पीपिंग सेरेमनी भी की गई, जिसमें परिजनों ने कंधों पर सितारे लगाकर इस यादगार पल को खास बनाया.

अफसर बनने की खुशी: इसके बाद परिजनों के साथ नए सैन्य अफसर मिलकर खुशी मनाते दिखे. इस दौरान रिश्तेदार, दोस्त यार भी यहां खुशियां साझा कर रहे थे. हर बार की तरह इस बार भी नए सैन्य अफसरों ने पुश अप लगाकर अपने साथियों के साथ अपने उत्साह और खुशी को जाहिर किया. यह वह पल है जब प्रशिक्षण के दौरान यह साथ रहे लेकिन अब अलग-अलग यूनिट और पोस्टिंग मिलने के बाद इन्हें देश सेवा के लिए तैनाती दी जाएगी.

बिहार के गोपेंद्र बने सैन्य अफसर: पीपिंग सेरेमनी के बाद बिहार सीतामणी के रहने वाले सैन्य अफसर गोपेन्द्र कुमार मिश्रा कहते हैं कि कक्षा 10वीं, 12 वीं से ही उन्होंने सेना में जाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे. करीब 08 से 10 साल की लगातार मेहनत के बाद उन्हें ये मुकाम हासिल हो सका. इस दौरान गोपेन्द्र ने SSB क्लियर किया और फिर कठिन प्रशिक्षण के बाद चयनित हुए.

गोपेंद्र के माता पिता हुए खुश: गोपेन्द्र के माता कल्पना मिश्रा और पिता अरुण मिश्रा कहते हैं कि गोपेन्द्र ने बचपन से ही मेहनत की. वो स्पोर्ट्समैन भी रहा और घर में पहले से ही सेना को लेकर माहौल था, जिससे गोपेन्द्र मोटिवेट हुआ.

राजस्थान के लक्ष्य सिंह बने सेना में अधिकारी: इसी तरह राजस्थान के रहने वाले लक्ष्य सिंह कहते हैं कि उन्होंने अकादमी में CDS क्लियर कर सीधे एंट्री ली है. हालांकि अकादमी में काफी कठिन प्रशिक्षण हुआ जिसमें पीछे रह जाने का भी डर था लेकिन अकादमी के अधिकारियों ने बार-बार मोटिवेट कर हार नहीं मानने दी.

लक्ष्य के पिता सीआईएसएफ में हैं: इसी तरह लक्ष्य के पिता जगदेव प्रसाद भी CISF में हैं. वो कहते हैं कि बेटे को देश सेवा में ही भेजना था और खुद लक्ष्य भी सेना में ही जाना चाहता था. माता सुनीता कहती हैं कि उनके बेटे ने कभी कोई समय या मौसम नहीं देखा और खूब मेहनत की. उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. उन्हें पता था कि उनका बेटा एक दिन अफसर बनेगा.

यूपी के सत्यम त्रिपाठी बने सेना में अफसर: उत्तर प्रदेश के उरई के रहने वाले सत्यम त्रिपाठी भी उन 419 नए सैन्य अफसरों में से एक हैं, जिन्होंने कठिन परिश्रम में अपनी जिंदगी के कई साल निकाल दिए. सत्यम कहते हैं कि उनकी कुल 11 साल की मेहनत के बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. सैनिक स्कूल रीवा में सत्यम की पढ़ाई हुई, जहां से मौजूदा भारत के सेना प्रमुख और नेवी चीफ भी पढ़े हैं. सत्यम कहते हैं कि वह एयर फोर्स में जाना चाहते थे, लेकिन किसी कारण से वो एयर फोर्स में नहीं जा सके. ऐसे में उन्होंने सेना में जाने का फैसला लिया.

सत्यम के पिता के निकले आंसू: सत्यम के पिता विकास त्रिपाठी सत्यम के बारे में बात करते करते रो पड़ते हैं. आंखों में आंसू के साथ वो कहते हैं कि उन्हें गर्व है अपने बेटे पर. सत्यम अपने परिवार में पहले सैन्य अफसर बने हैं. सत्यम की बड़ी बहन श्वेता त्रिपाठी कहती हैं कि अपने भाई को देखकर वो भी अब सेना में जाना चाहती हैं.

ममुत्तु भी बने सैन्य अफसर: तमिलनाडु के रहने वाले ममुत्तु रामन ने काफी कठिनाइयों के बाद भारतीय सैन्य अकादमी के प्रशिक्षण को पूरा करते हुए सैन्य अफसर बनने में कामयाबी हासिल की. रामन कहते हैं कि यह उनका सपना था और कई सालों से उन्हें इस दिन का इंतजार था. उन्होंने कहा कि उनके पिता ने ही उन्हें सेना में जाने के लिए मोटिवेट किया. रामन के पिता भी एक्स सर्विसमैन थे और यही कारण था कि घर में अनुशासन भी रहा और पिता भी यह कोशिश करते रहे कि उनका बेटा सेना में अफ़सर बने.
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