हैदराबाद: रामोजी राव एक दूरदर्शी व्यक्ति थे. उन्होंने आत्म-अनुशासन और दृढ़ संकल्प के जरिए बुलंदियों को छुआ. उन्होंने तेलुगु लोगों को बहुत गौरव दिलाया. वो ऐसे शख्स थे, जिन्होंने मिट्टी से माणिक गढ़े. राव एक ऐसे शख्स थे, जिन्होंने अपने हर काम में अपनी छाप छोड़ी. उसकी अद्वितीय दृढ़ता, अनुशासन, मूल्यों और विश्वसनीयता की विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती है. जिस रास्ते पर वे चले, वह हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है.
रामोजी राव का जीवन और उनके द्वारा अपनाए गए मूल्य, समाज के लिए मार्गदर्शक हैं. उनके सिद्धांत उन सभी लोगों के लिए शक्तिशाली मंत्र हैं, जो जीवन में ऊंचा उठने की चाह रखते हैं. रामोजी राव का दर्शन था. “हमेशा कल के बारे में सोचो, कल को पीछे मत देखो.” उनके लिए, परिवर्तन और प्रगति अविभाज्य और जुड़वां थे. उनका मानना था कि विकास केवल परिवर्तन के माध्यम से ही संभव है. ऐसे में यदि कोई प्रगति चाहता है, तो उसे नए सिरे से सोचना चाहिए. वे कहा करते थे “स्काइ इज द लिमिट.” रामोजी राव के ये शब्द यादों में अमिट छाप छोड़ गए हैं. उनके वो वाक्य थे, “हमेशा बड़ा सोचो, और तुम्हारे परिणाम खुद-ब-खुद मिलेंगे.”
रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)
उन्होंने हमें सिखाया कि चाहे हमारे सामने कितनी भी परेशानियां क्यों न आएं, हमें दूसरों की मदद का इंतजार किए बिना अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहिए. उन्होंने सलाह दी कि हमें ऐसे काम करने चाहिए, जो हमारी आत्मा को संतुष्ट करे. ऐसे काम ना करें जो दूसरों को खुश करने या वाहवाही पाने के लिए हों. वो कहते थे कि इस तरह के काम करने से सफलता और गहरी संतुष्टि दोनों ही मिलती है. यह रामोजी राव द्वारा दिया गया गहन जीवन पाठ था, जो अमूल्य है.
उनकी मुख्य मान्यता यह थी कि चुनौतियों से कभी न डरें. उनके लिए, चुनौतियां बाधाएं नहीं थीं, वे एक छिपे हुए अवसर थे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आत्म-सम्मान किसी भी चीज से अधिक मूल्यवान है. उन्होंने कहा था कि हमें कभी भी अपने व्यक्तित्व से समझौता नहीं करना चाहिए. उन्होंने इसको लेकर ये कहा था कि इस विश्वास को कायम रखने के लिए चाहे कितनी भी कठिनाई उठानी पड़े और आर्थिक बोझ उठाने पड़ें, अपनी पर्सनॉलिटी से समझौता नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही वो भी कहते थे कि “कोई भी प्रयास जो आर्थिक रूप से टिकाऊ न हो, वह लंबे समय तक नहीं टिकेगा. किसी भी नई पहल की योजना बनाते समय सदैव इसे याद रखें.”
उनका मानना था कि अनुशासन के अलावा सफलता का कोई रहस्य नहीं है. इसके बिना सबसे प्रतिभाशाली व्यक्ति भी चमक नहीं सकता. रामोजी राव के मुताबिक, किसी व्यक्ति या संगठन की असली संपत्ति विश्वसनीयता (Credibility) है. उस विश्वसनीयता को बनाए रखना उनके लिए क्षणिक कार्य नहीं था, यह उनकी आजीवन प्रतिबद्धता (Lifelong Commitment) थी.

रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)
रामोजी राव का समाज के प्रति प्रेम अपार था. वे हमेशा लोगों के जीवन को रौशन करने के लिए तत्पर रहते थे. साथ ही मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता करते थे. अगर युवा पीढ़ी उनकी दृढ़ता, लोगों के प्रति उनके प्रेम और जनता के साथ खड़े होने की उनकी इच्छा से प्रेरणा लेती है, तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे जीवन में बहुत आगे बढ़ेगी.
विचारों में निरंतर नवीनता रामोजी राव की पहचान थी. उन्होंने युवाओं की आशाओं, सपनों और महत्वाकांक्षाओं को हमेशा प्राथमिकता दी. रामोजी राव को हर विषय का गहन अध्ययन करने की आदत थी. वो समय के बहुत बड़े पाबंद थे. अनुशासन उनके जीवन का अभिन्न अंग था. वे हमेशा सूर्योदय से पहले अहले सुबह जग जाते थे और व्यायाम के लिए समय निकलते थे. उनकी जीवन-शैली नियमित और संतुलित थी. उन्हें अपने काम से खुशी मिलती थी. उनका मानना था कि काम ही ईश्वर है. वे अक्सर कहते थे कि वे काम करते हुए मरना चाहते हैं. इस वचन के साथ ही वे जीवन के अंत तक उत्साह के साथ सक्रिय रहे. इन गुणों ने ही एक साधारण पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को एक शक्तिशाली व्यक्ति और साहित्य के महान योद्धा में बदल दिया. उन्होंने जिन जीवन सिद्धांतों का पालन किया, वे ऐसे हैं जिन्हें कोई भी अपना कर दैनिक जीवन में लागू कर सकता है.
महान कवि कालोजी ने एक बार कहा था, “स्याही की एक बूंद लाखों लोगों के मन को झकझोर सकती है.” इसी भावना के साथ, रामोजी राव ने सामाजिक बुराइयों और अन्याय को चुनौती देने के लिए अपनी कलम उठाई. निडर खोजी पत्रकारिता के माध्यम से, उन्होंने भ्रष्टाचार पर चोट किया, उन्हें जिम्मेदारी की अनुभूित से अहसास कराया. उन्होंने सार्वजनिक मुद्दों को संबोधित करते हुए अनगिनत जागरूकता अभियानों को प्रेरित किया. जब भी सत्ता में बैठे हुए लोगों के अधिकारों को कुचला, वे पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़े हो गए.
रामोजी राव के लिए व्यापार का मतलब सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं था, बल्कि यह सामाजिक जिम्मेदारी भी थी. प्राकृतिक आपदाओं और संकटों के दौरान वे एक सुरक्षात्मक छाया की तरह संकटग्रस्त लोगों के साथ खड़े रहे. उनका मानना था कि समाज से उठने वाले लोगों का कर्तव्य है कि वे समाज को कुछ वापस दें.
रामोजी राव ने अपने समूह की कंपनियों के कर्मचारियों के लिए जिम्मेदारी की वसीयत छोड़ी. इन कर्मचारियों को वो अपना परिवार मानते थे. उन्होंने हर कर्मचारी को चुनौतियों से पार पाने के लिए रचनात्मकता का उपयोग करते हुए एक सक्षम सैनिक की तरह काम करने की सलाह दी. उन्होंने कहा, “हर सफलता में आप मेरी सेना हैं.” “अगर मेरे द्वारा बनाए गए संस्थान और सिस्टम टिके रहने हैं, तो आप उनकी नींव हैं.” उन्होंने दशकों से उनके विजन का समर्थन करने वाले सभी कर्मचारियों के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की. इसके साथ ही उन्हें उनके संस्थानों की विरासत को बढ़ाए रखने के लिए महान परंपराओं को आगे बढ़ाने और उच्च आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
रामोजी राव खुद एक चमकते हुए प्रकाश थे, जिन्होंने दूसरों को रौशन किया. उन्होंने हर पल का सार्थक उपयोग किया और समाज को अपने साथ आगे बढ़ाया. उन्होंने जो रास्ता चुना और जिन मूल्यों पर वे अड़े रहे, वे न केवल उनके समकालीनों को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित करेंगे. हम उन्हें जो सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं, वह है उनके आदर्शों को पवित्रता के साथ जारी रखें.
जब तक इस ब्रह्मांड में अक्षर रहेंगे… जब तक ध्वनि सुनाई देगी… जब तक दृष्टि रहेगी, रामोजी राव की कीर्ति अमर रहेगी. उनकी उपलब्धियां बेमिसाल हैंं. उनकी प्रेरणा अमर हैं. रामोजी राव का नाम अमर रहेगा.
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