नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस) केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि युवा स्टार्टअप, इनोवेटर्स और शोधकर्ताओं के बीच एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस (ईआईआर) कार्यक्रम की बढ़ती लोकप्रियता भारत के जैव प्रौद्योगिकी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को नया आकार दे रही है।
यहां जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (बीआरआईसी) की तीसरी वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ईआईआर पहल सफलतापूर्वक वैज्ञानिक-उद्यमियों की एक नई पीढ़ी तैयार कर रही है जो अनुसंधान के लिए समस्या-समाधान, बाजार-उन्मुख दृष्टिकोण के साथ अकादमिक उत्कृष्टता को जोड़ते हैं।
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान और उद्यम के बीच अंतर को पाटने के लिए डिज़ाइन किए गए ईआईआर कार्यक्रम ने निजी क्षेत्र और उद्यम पूंजी निवेशकों की सक्रिय भागीदारी को आकर्षित किया है, जिससे भारत के सार्वजनिक अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर प्रौद्योगिकी अनुवाद और स्टार्टअप निर्माण को बढ़ावा मिला है।
उन्होंने कहा, “एंटरप्रेन्योर-इन-रेसिडेंस कार्यक्रम ने हमारे अनुसंधान संस्थानों के भीतर उद्यमशीलता संस्कृति को एक नई गति दी है। यह युवा वैज्ञानिकों को न केवल खोज करने के लिए बल्कि उन्हें वितरित करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है – अपने विचारों को ऐसे नवाचारों में बदलने के लिए जो जीवन को प्रभावित करते हैं और भारत की बायोटेक विकास की कहानी में योगदान करते हैं।”
संस्थागत सहयोग के मॉडल के रूप में ब्रिक की भूमिका पर जोर देते हुए मंत्री ने कहा कि परिषद का निर्माण भारत के वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे सफल संरचनात्मक सुधारों में से एक रहा है।
उन्होंने कहा, “एक एकीकृत छतरी के नीचे कई शोध संस्थानों को एक साथ लाने के लिए ब्रिक पूरे सरकारी ढांचे में पहला प्रयोग था।” उन्होंने कहा कि इस सहयोगी ढांचे ने अब अन्य वैज्ञानिक मंत्रालयों में भी इसी तरह की पहल को प्रेरित किया है।
डॉ. सिंह ने खोज और नवाचार में तेजी लाने के लिए अंतःविषय और अंतर-क्षेत्रीय साझेदारी के विस्तार के महत्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने ब्रिक के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को विस्तारित करने का सुझाव दिया, जिसमें अंतर-विज्ञान, अतिरिक्त-विज्ञान और विस्तारित सहयोग को शामिल किया जाए, जिससे न केवल विज्ञान की विभिन्न शाखाएं बल्कि शैक्षणिक संस्थान और निजी उद्योग भागीदार भी जुड़ें।
उन्होंने इस तरह के एकीकरण के सफल उदाहरणों के रूप में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज और अपोलो हॉस्पिटल्स जैसी गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ साझेदारी में चल रहे परीक्षणों और परियोजनाओं का हवाला दिया।
इसके अलावा, जैविक अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के एकीकरण पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि भारत पहले से ही एआई-संचालित जैव विज्ञान में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ जुड़ रहा है।
उन्होंने शोधकर्ताओं को सूचनात्मक सामग्री तैयार करके और संस्थानों के बीच डिजिटल संचार को मजबूत करके आउटरीच और सहयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
–आईएएनएस
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