मुंबई: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की प्रमुख कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयरों में बुधवार को लगभग 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. यह बता दें कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर भारत में चार प्रकार की नई पीढ़ी के 155 मिमी तोपखाना गोला-बारूद को डिजाइन और विकसित करने वाली पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई.
रिलायंस का प्लान
न्यू जेनरेशन के गोला-बारूद से भारतीय रक्षा मंत्रालय (MoD) को मेक इन इंडिया के तहत रिलायंस से गोला-बारूद खरीदने में मदद मिलेगी, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी. रेंज और सटीकता के लाभ को देखते हुए, रिलायंस निर्यात की भी संभावना तलाश रहा है, जिससे अगले 10 सालों में राजस्व में 10,000 करोड़ रुपये का योगदान हो सकता है.
शेयरों पर असर
अपडेट के बाद, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर बुधवार को करीब 1.9 फीसदी बढ़कर 348.45 रुपये पर पहुंच गए, जिससे कुल बाजार पूंजीकरण करीब 14,000 करोड़ रुपये हो गया. शेयर 341.95 रुपये पर बंद हुआ था, जबकि सोमवार को इसने 359.50 रुपये पर अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर को छुआ था.
कोविड-19 महामारी के कारण करीब 5 साल पहले अपने निचले स्तर से शेयर में करीब 3,500 फीसदी की उछाल आई है. शेयर में 52 सप्ताह के निचले स्तर 143.70 रुपये से 140 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है.
पिछले एक महीने में शेयर में 35 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है. जनवरी 2008 में अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 2,485 रुपये से शेयर में अभी भी 85 फीसदी की गिरावट है.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रवक्ता ने कहा कि चारों प्रोजेक्टाइल पर विकास काम पूरा हो चुका है. सप्लाई चेन में दस भारतीय कंपनियों को पूरी तरह से एकीकृत किया गया है और उत्पादन तुरंत शुरू हो सकता है. विकास पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है.
निजी क्षेत्र की एकमात्र कंपनी
रक्षा मंत्रालय के अधीन डीआरडीओ के आर्ममेंट रिसर्च एवं विकास प्रतिष्ठान के डिजाइन-सह-उत्पादन भागीदार कार्यक्रम के तहत नई पीढ़ी के गोला-बारूद का विकास किया गया. प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया में रिलायंस इंफ्रा को सार्वजनिक क्षेत्र की यंत्र इंडिया लिमिटेड के साथ-साथ निजी क्षेत्र की एकमात्र कंपनी के रूप में चुना गया.
यह रिलायंस के भारत से रक्षा हार्डवेयर और सेवाओं के शीर्ष तीन निर्यातक बनने के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगा. कंपनी 5,000 करोड़ रुपये के निवेश से रत्नागिरी में धीरूभाई अंबानी डिफेंस कॉटी में एक ग्रीनफील्ड विस्फोटक और गोला-बारूद सुविधा स्थापित कर रही है.
केपीएमजी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना का गोला-बारूद पर खर्च 2023 में 7,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2032 तक 12,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो जाएगा.
रिलायंस को रक्षा मंत्रालय से ऑर्डर
कंपनी को अगले 10 वर्षों में भारतीय रक्षा मंत्रालय (MoD) से 10,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है. सेना का गोला-बारूद पर खर्च 2023 में 7,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2032 तक 12,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होने का अनुमान है. ऐसे में रिलायंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा हासिल करने की स्थिति में है.