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नींद नहीं आती? तो आज़माएं 4-7-8 ब्रीदिंग तकनीक , बिना दवा, बिना साइड इफेक्ट

आज की भागदौड़ भरी और अव्यवस्थित जीवनशैली ने नींद से हमारी दूरी बढ़ा दी है। नींद न आने की परेशानी अब आम हो चली है, और ऐसे में लोग अक्सर तात्कालिक राहत के लिए ऐसी आदतें अपना लेते हैं जो सेहत को और नुकसान पहुंचा सकती हैं।

लेकिन बिना किसी दवा के, पूरी तरह सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका भी मौजूद है — 4-7-8 ब्रीदिंग टेक्निक
इस तकनीक में,

  • पहले 4 सेकंड तक गहरी सांस ली जाती है,

  • फिर उस सांस को 7 सेकंड तक रोक कर रखा जाता है,

  • और अंत में 8 सेकंड तक धीरे-धीरे उसे बाहर छोड़ा जाता है।

यह आसान सी प्रक्रिया मन और शरीर को शांत करती है, जिससे नींद आसानी से आने लगती है। नियमित अभ्यास से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और तनाव भी कम होता है।

4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज क्या है?

4-7-8 तकनीक एक खास तरह की श्वास प्रक्रिया (ब्रीदिंग एक्सरसाइज) है, जिसे अमेरिका के प्रसिद्ध डॉक्टर डॉ. एंड्रयू वील ने लोकप्रिय बनाया। यह अभ्यास सांसों की गति को नियंत्रित कर शरीर के नर्वस सिस्टम को शांत करता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और नींद आने में मदद मिलती है।

इस तकनीक में तीन मुख्य चरण होते हैं:

  1. सबसे पहले, 4 सेकंड तक नाक से गहरी सांस ली जाती है।

  2. इसके बाद, उस सांस को 7 सेकंड तक भीतर रोककर रखा जाता है।

  3. फिर 8 सेकंड तक धीरे-धीरे मुंह से सांस को बाहर छोड़ा जाता है।

इस पूरी प्रक्रिया को कम से कम चार बार दोहराया जाता है, जिसे एक “राउंड” माना जाता है। नियमित अभ्यास से मन को शांति और शरीर को गहरी विश्रांति मिलती है।

4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज: कैसे करें और क्या रखें ध्यान में

कैसे करें यह व्यायाम?

  • सबसे पहले, बिस्तर पर लेट जाएं या किसी शांत और आरामदायक जगह पर सीधे बैठ जाएं।

  • अपनी आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें।

  • मुंह बंद रखते हुए, नाक से धीरे-धीरे 4 सेकंड तक गहरी सांस लें।

  • इसके बाद, उसी सांस को भीतर रोककर 7 सेकंड तक गिनती करें।

  • अब मुंह से धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से 8 सेकंड तक सांस छोड़ें।

  • इस प्रक्रिया को कम से कम 4 बार दोहराएं, जिसे एक राउंड माना जाता है।

  • अगर शुरुआत में सांस रोकने में कठिनाई हो रही हो, तो धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।

कब और कितनी बार करें?

  • इस अभ्यास को रात को सोने से ठीक पहले करना सबसे ज़्यादा फायदेमंद होता है।

  • आप इसे दिन में किसी भी समय कर सकते हैं, खासकर जब तनाव या बेचैनी महसूस हो रही हो।

  • नियमित अभ्यास से इसका प्रभाव और अधिक गहरा और स्थायी होता है।

संभावित शुरुआती परेशानियां

  • क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, जब आप पहली बार इस ब्रीदिंग तकनीक को अपनाते हैं, तो कुछ लोगों को हल्का चक्कर आना या सांस फूलने जैसी समस्या हो सकती है।

  • ये लक्षण अस्थायी होते हैं और केवल इसलिए होते हैं क्योंकि आप धीरे-धीरे गहरी सांस लेना और उसे नियंत्रित करना सीख रहे होते हैं।

  • बहुत से लोग अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते — लेकिन थोड़े अभ्यास और धैर्य से आप कुछ ही दिनों में इसे सहजता से कर पाएंगे।

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