देहरादून: उत्तराखंड में आने वाले वाहन अक्सर पड़ोसी राज्यों से सीएनजी भरते हैं, जिससे राज्य में सीएनजी की खपत कम हो रही थी और सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार ने सीएनजी और पीएनजी पर वैट दर को घटा दिया है, जिससे राज्य में इन गैसों की खपत बढ़ने की उम्मीद है और सरकार को राजस्व में सुधार होगा।
प्रदेश सरकार ने पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) और कंप्रेशड नेचुरल गैस (सीएनजी) पर वैट दर में कटौती की है। इससे इन गैसों की कीमतें प्रदेश में सस्ती होंगी। वर्तमान में सीएनजी और पीएनजी पर 20 प्रतिशत वैट लागू था, जिसे घटाकर सीएनजी पर 10 प्रतिशत और पीएनजी पर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
राज्य में वर्तमान में नेचुरल गैस, पीएनजी और सीएनजी पर 20 प्रतिशत वैट लागू है, जबकि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में वैट की दरें कम हैं। उत्तर प्रदेश में पीएनजी पर 10 प्रतिशत और सीएनजी पर 12.50 प्रतिशत वैट लिया जाता है, वहीं हिमाचल प्रदेश में पीएनजी पर चार प्रतिशत और सीएनजी पर 13.75 प्रतिशत वैट लागू है।
उत्तराखंड में सीएनजी और पीएनजी पर वैट में कमी, वाहन मालिकों को मिलेगी राहत
उत्तराखंड में उच्च टैक्स दरों के कारण सीएनजी और पीएनजी पड़ोसी राज्यों से महंगे हैं, जिसके कारण वाहन मालिक इन गैसों को पड़ोसी राज्यों से भरते हैं। इससे राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार ने सीएनजी और पीएनजी पर वैट में कटौती का फैसला लिया है। अब राज्य में पीएनजी पर पांच प्रतिशत और सीएनजी पर 10 प्रतिशत वैट लिया जाएगा।
नेचुरल गैस पर वैट कटौती से 15 करोड़ का अनुमानित घाटा, लेकिन खपत बढ़ने पर मिलेगा लाभ
यह बात ध्यान में रखते हुए, कि नेचुरल गैस पर जीएसटी लागू नहीं है, प्रदेश सरकार को इस पर वैट से सालाना 38 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। हालांकि, सीएनजी और पीएनजी पर वैट घटाने से सरकार के राजस्व में 15 करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है। लेकिन भविष्य में खपत बढ़ने के साथ सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।