देहरादून : उत्तराखंड कैबिनेट ने सड़क हादसों को रोकने के लिए सड़क सुरक्षा नीति के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की और इसमें 19 विभागों की जिम्मेदारी निर्धारित की। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पर्वतीय मार्गों के किनारे पौधरोपण किया जाएगा। नई सड़क सुरक्षा नीति में जागरूकता बढ़ाने पर खास ध्यान दिया गया है। स्कूलों में कक्षा एक से ही बच्चों को सड़क सुरक्षा की शिक्षा दी जाएगी, वहीं कॉलेजों से लेकर आमजन तक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा।
किस विभाग को क्या जिम्मेदारी:
- शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा विभाग:
- प्रारंभिक कक्षाओं से सड़क सुरक्षा की शिक्षा देना।
- पाठ्यक्रम में अपडेट करना।
- शिक्षक, अभिभावकों, स्कूल बस और स्कूल वैन संचालकों, शिक्षा विभाग के अफसरों को जागरूक करना।
- एनएसएस, स्काउट गाइड और एनसीसी कैडेट्स को सड़क सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना।
- उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, और चिकित्सा शिक्षा विभाग सभी छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रमों से जोड़ना।
लोनिवि, एनएचएआई, बीआरओ, सिंचाई विभाग:
- ग्रामीण और शहरी सड़कों का डिजाइन इस प्रकार तैयार किया जाए कि पैदल यात्रियों, अक्षम व्यक्तियों, दिव्यांगों और बच्चों के सुरक्षित आवागमन का ध्यान रखा जाए।
- देश-विदेश में नगर नियोजकों, वास्तुविदों और यातायात इंजीनियरिंग के सर्वोत्तम मॉडल का अध्ययन कर राज्य की स्थिति के अनुसार उन्हें लागू किया जाए।
- पर्वतीय मार्गों पर क्रैश बैरियर, ब्लैक स्पॉट और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का त्वरित सुधार किया जाए।
- सड़कों पर खोदाई, गड्ढे करने और सड़क किनारे भवन निर्माण सामग्री के भंडारण से संबंधित गाइडलाइन लोनिवि को तैयार करनी होगी।
स्वास्थ्य विभाग:
- चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को दुर्घटनाओं के उपचार के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित करना।
- गोल्डन आवर का महत्व समझाना और आपातकालीन सेवाओं को मजबूत करने के लिए एयर एंबुलेंस सेवा तंत्र को शामिल करना।
- नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे के साथ लगने वाले अस्पतालों और ट्रामा केंद्रों को सुसज्जित करना।
- प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी परिवहन और पुलिस के सहयोग से फर्स्ट रिस्पॉन्डर तक पहुंचाना।
- केंद्र की योजना के तहत दुर्घटना के घायलों को निशुल्क कैशलेस उपचार प्रदान करना।
परिवहन विभाग:
- प्रवर्तन को सशक्त बनाना और नेशनल तथा स्टेट हाईवे पर पेट्रोलिंग बढ़ाना।
- वाहन चालन कौशल में सुधार के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली को मजबूत करना और एआई का उपयोग करना।
- भारी वाहन चालकों के लिए विशेष प्रशिक्षण और हल्के वाहन चालकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स की शुरुआत।
- डीएल के लिए प्राथमिक चिकित्सा की योग्यता को अनिवार्य करना।
- समान श्रेणी के अपराध करने वालों पर कठोर कार्रवाई और काउंसलिंग।
- वाहनों की फिटनेस जांचना और प्रवर्तन को विस्तारित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंफोर्समेंट डिवाइस का उपयोग।
- एकीकृत नगरीय परिवहन प्रणाली का विकास और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम को प्रोत्साहित करना।
- दुर्घटना प्रभावितों को राहत राशि वितरित करना।
आपदा प्रबंधन विभाग:
- दुर्घटना की तुरंत सूचना पुलिस और चिकित्सा विभाग को देना।
- राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ या एसडीआरएफ को सक्रिय करना।
पुलिस:
- यातायात नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग और कठोर कार्रवाई करना, साथ ही फेसलैस चालान करना।
- सड़क दुर्घटनाओं के कारण और विश्लेषण के लिए एकीकृत दुर्घटना डाटाबेस को मजबूत करना।
- ट्रैफिक स्वयंसेवकों, जूनियर ट्रैफिक फोर्स, ट्रैफिक वार्डन और एनसीसी कैडेट्स को प्रशिक्षित करना।
- विभिन्न अकादमिक और अनुसंधान संस्थाओं में यातायात सुरक्षा पर सम्मेलन आयोजित करना।
- सड़क सुरक्षा आउटरीच कार्यक्रम चलाना और जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
आवास, शहरी विकास एवं स्थानीय निकाय:
- सड़क किनारे का अतिक्रमण हटाना और ऐसे होर्डिंग्स को हटाना जो चालक की एकाग्रता को भंग करते हैं।
- पैदल यात्रियों के सुगम आवागमन के लिए फुटपाथ का अतिक्रमण हटाना।
- नगरीय क्षेत्रों में पार्किंग स्थल बनाना और आवारा पशुओं से दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पशुशालाओं का निर्माण।
- उचित स्थानों पर सड़क संकेत चिन्ह, रोड मार्किंग और स्ट्रीट लाइट लगाना।
वन विभाग:
- वन्य जीवों और सड़क यातायात के बीच संघर्ष को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाना।
- वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों में वाहनों की गति पर नियंत्रण के उपाय लागू करना।
- वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सूचना संकेतक लगाना और पर्वतीय मार्गों पर सड़क किनारे वृक्षारोपण करना।
अन्य विभागों की जिम्मेदारी:
- आबकारी विभाग: शराब पीकर वाहन चलाने को हतोत्साहित करना।
- जिला प्रशासन: हिट एंड रन मामलों में प्रभावितों को समयबद्ध आर्थिक सहायता देना और सड़क सुरक्षा समितियों के माध्यम से सुरक्षा उपायों को लागू करना।
- ऊर्जा विभाग: सड़क किनारे स्थित बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मरों को इस तरह से व्यवस्थित करना कि दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
- पर्यटन विभाग: पर्यटकों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करना।
- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग: रात्रि में आवश्यक वस्तुओं के वाहनों के परिवहन के लिए पुलिस और जिला प्रशासन से समन्वय करना।
हादसे में सहायता राशि की परिभाषा में बदलाव:
- 2016 की नीति में मृत्यु या स्थायी विकलांगता पर 50,000 रुपये, गंभीर चोट पर 20,000 रुपये और मामूली चोट पर 5000 रुपये राहत राशि का प्रावधान था। अब नई नीति में यह राशि बढ़ाई गई है।
- मृत्यु पर 2,00,000 रुपये, गंभीर घायल होने पर 1,00,000 रुपये, टखने से ऊपर पैर की हानि, एक नेत्र की हानि, या दाहिनी कलाई/एक भुजा की हानि होने पर 40,000 रुपये और सामान्य रूप से घायल होने पर 10,000 रुपये की राहत राशि दी जाएगी।