देहरादून : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने के लिए नियमावली के प्रारूप में बदलाव किए जा रहे हैं। 424 पन्नों की इस नियमावली में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो केंद्रीय नियमों से मेल खाते हैं और उनका दोहराव हो रहा है। इस कारण से इन प्रावधानों को हटाने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा, अर्थदंड की व्यवस्था को लेकर भी पुनः विचार-विमर्श चल रहा है। जल्दी ही इस नियमावली को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
समिति ने अक्टूबर महीने में इस नियमावली का प्रारूप राज्य सरकार को सौंपा था। इसके बाद सरकार ने नियमावली बनाने वाली समिति को भंग कर एक नई क्रियान्वयन समिति का गठन किया। इस नई समिति में वही लोग शामिल हैं, जो पहले नियमावली बनाने वाली समिति में थे। शासन ने प्रारूप प्राप्त होने के बाद इसे विधि और न्याय विभाग के पास भेजा, जिसने कई बिंदुओं पर आपत्ति उठाई। विभाग का कहना था कि जिन व्यवस्थाओं का उल्लेख नियमावली में किया गया है, वे पहले से ही केंद्रीय कानूनों में शामिल हैं। ऐसे में इन्हें नियमावली से हटा देना चाहिए। इसके साथ ही, यह सुझाव दिया गया कि नियमावली में ऐसी व्यवस्थाएं होनी चाहिए, जिन्हें आम नागरिक आसानी से समझ सकें और लागू कर सकें।
वर्तमान में गृह विभाग इस मामले पर कार्रवाई कर रहा है और वित्त विभाग के साथ मिलकर नियमावली में अर्थदंड की व्यवस्था पर चर्चा कर रहा है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जो व्यवस्थाएं की जा रही हैं, वे कानूनी रूप से सही हों, ताकि भविष्य में इस पर कोई विवाद न उठे।
गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि नियमावली के प्रारूप पर कई चरणों में बैठकें हो चुकी हैं, और जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।