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भू-कानून के दुरुपयोग पर उत्तराखण्ड सरकार करेगी सख्त कार्रवाई, नियमों में किया जाएगा परिवर्तन

देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के दुरुपयोग पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आगामी बजट सत्र में भू-कानूनों को और अधिक सख्त करने की घोषणा की है। इस दौरान, नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाएगा। अब तक भू-कानून के उल्लंघन के 500 से अधिक मामलों में नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए, जिसके लिए उसे खरीदा गया था। इस मुद्दे पर सोमवार को सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में सचिव समिति की बैठक हुई, जिसमें वर्तमान और नए भू-कानून के स्वरूप पर चर्चा की गई। बैठक में यह भी तय किया गया कि दुरुपयोग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सरकार ने प्रदेश में भू-कानून के उल्लंघन को रोकने के लिए नियमों को और कड़ा करने की योजना बनाई है। कड़े क्रियान्वयन के लिए भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस बारे में विधेयक को आगामी बजट सत्र में पेश करने की घोषणा की है।

भूमि खरीद-बिक्री पर कड़ी नजर

मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद से पूरे राज्य में भूमि की खरीद-बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। नियमों का दुरुपयोग करने पर कार्रवाई की जा रही है और 500 से अधिक मामलों में नोटिस जारी किए गए हैं। इस संबंध में जिलों से तहसील स्तर पर सुझाव भी मांगे गए हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि भू-कानून सख्त करने के बावजूद, इससे कोई अनावश्यक भय का वातावरण नहीं बनेगा।

सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भूमि उपयोग के नियमों में सख्ती के साथ-साथ उनके क्रियान्वयन पर जोर दिया है। बैठक में यह भी सहमति बनी कि कानून को अनावश्यक रूप से कड़ा करने से बचना चाहिए ताकि निवेशकों में भय का माहौल न बने।

कानूनी पहलुओं पर विचार-विमर्श

सचिव समिति की बैठक में भूमि खरीद के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श हुआ। विशेष रूप से नगर निकाय क्षेत्रों में 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि की खरीद, 12.5 एकड़ से अधिक भूमि के लिए अनुमति, कृषि उपयोग के लिए भूमि की खरीद और निवेश संबंधी कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। बैठक में राजस्व, वित्त, कार्मिक, न्याय, विधायी और अन्य विभागों के सचिव एवं प्रमुख सचिवों ने अपनी राय दी।

इस बैठक का उद्देश्य भू-कानून के दुरुपयोग को रोकते हुए राज्य में निवेश को बढ़ावा देना है, ताकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।

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