उत्तराखंड में पिछले महीने हुए सबसे बड़े साइबर हमले को एक माह पूरा हो गया है। इस हमले से सबक लेते हुए सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने राज्य के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को और भी सुरक्षित बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। पूरे सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाने के साथ-साथ, साइबर हमलों की निगरानी और उन्हें नाकाम करने के लिए आवश्यक तंत्र को भी मजबूत किया गया है।
माकोप रैनसमवेयर का हमला
पिछले माह, 3 अक्टूबर को प्रदेश में एक बड़ा माकोप रैनसमवेयर हमला हुआ था, जिसने राज्य के आईटी सिस्टम को पूरी तरह से ठप कर दिया था। इस साइबर हमले के बाद, सरकार और संबंधित एजेंसियों के सामने पूरे आईटी नेटवर्क की सुरक्षा को लेकर कई चुनौतियाँ आईं। हमले की वजह से कई सरकारी फाइलों और डेटा तक पहुंच अवरुद्ध हो गई थी और कई दिन तक कार्यों में रुकावट आई थी।
साइबर हमले के बाद सुधार की दिशा में कदम
साइबर हमले के बाद, सचिव आईटी नितेश झा की अगुवाई में एक कार्य योजना तैयार की गई। सरकार ने इस हमले से सीखते हुए पूरी आईटी प्रणाली की सुरक्षा में कई सुधार किए हैं। नए सुरक्षा उपायों के तहत, सभी सरकारी सिस्टमों को अत्यधिक सुरक्षा प्रदान की गई है, और साइबर हमलों की निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया गया है।
आईटीडीए ने अब तक विभिन्न स्तरों पर साइबर सुरक्षा उपकरण और सॉफ़्टवेयर को अपग्रेड किया है। इसके साथ ही, साइबर हमलों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है, जो किसी भी हमले के प्रयास को समय रहते पहचान सके और उसे नाकाम कर सके।
साइबर सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करने की दिशा में
साथ ही, सरकार ने इस क्षेत्र में कर्मचारी प्रशिक्षण पर भी जोर दिया है। सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा के नए मानकों पर प्रशिक्षित किया गया है, ताकि भविष्य में कोई भी संभावित साइबर हमला सफल न हो सके।
आईटी सेक्टर में व्यापक सुधार की जरूरत
इस हमले ने यह साबित कर दिया कि साइबर सुरक्षा के मामले में राज्य को अभी और सुधार की आवश्यकता है। आने वाले समय में इस क्षेत्र में और भी बदलाव और सुधार किए जाएंगे, ताकि राज्य का आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से सुरक्षित और सशक्त हो सके।
इस साइबर हमले ने यह भी स्पष्ट किया कि साइबर सुरक्षा केवल एक तकनीकी चुनौती नहीं