उत्तराखंड लोक सेवा अभिकरण ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में 2012 में जारी 1096 प्रवक्ता पदों पर नियुक्त शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया है। अभिकरण ने विभाग को निर्देश दिया है कि वह उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा जारी कम्बाइंड मैरिट सूची के आधार पर नए सिरे से वरिष्ठता सूची तैयार करे।
इसके साथ ही, ट्रिब्यूनल ने 2018 में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से वरिष्ठता निर्धारण के लिए दिए गए प्रत्यावेदन को खारिज करने का निर्णय भी रद्द कर दिया है। इस आदेश के फलस्वरूप 500 से अधिक प्रवक्ताओं के वरिष्ठता क्रमांक में बदलाव होगा, जिससे कम्बाइंड मैरिट सूची में ऊँचाई पर स्थित शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता खुल गया है।
उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग ने 5 अक्टूबर 2003 को 18 विषयों के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसके बाद चयन प्रक्रिया के दौरान विभिन्न विषयों की चयन सूची प्रकाशित की गई थी।
इस प्रक्रिया में सबसे पहले अंग्रेजी और भौतिकी विषय के चयनित प्रवक्ताओं की अंतिम चयन सूची जारी की गई, जबकि जीव विज्ञान विषय के चयनित प्रवक्ताओं की सूची सबसे अंत में प्रकाशित हुई। विभाग ने नवंबर 2005 में अंग्रेजी के प्रवक्ताओं की सूची और जुलाई 2006 में जीव विज्ञान के प्रवक्ताओं की सूची जारी की। 2009 में आयोग ने चयनित प्रवक्ताओं की कम्बाइंड मैरिट सूची प्रकाशित की।
रामनगर बोर्ड में तैनात प्रवक्ता नंदन सिंह का नाम 1102 अभ्यर्थियों की कम्बाइंड सूची में तीसरे स्थान पर था, जिसमें से 1096 ने चार्ज लिया था। नंदन का जीव विज्ञान विषय में पहला स्थान था, लेकिन 29 मार्च 2012 को शिक्षा विभाग ने कम्बाइंड सूची की अनदेखी करते हुए विषयवार वरिष्ठता निर्धारित कर सूची जारी की, जिससे मैरिट सूची के टॉपर नीचे आ गए।
प्रवक्ता नंदन ने विभाग को प्रत्यावेदन दिया, लेकिन कोई उत्तर न मिलने पर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश पर विभाग को छह माह के भीतर प्रत्यावेदन पर विचार करने के निर्देश दिए गए, लेकिन विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद नंदन ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिससे विभाग ने कोर्ट के नोटिस के बाद प्रत्यावेदन पर विचार तो किया, लेकिन उसे खारिज कर दिया। नंदन ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए फिर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने लोक सेवा अभिकरण को रेफर कर दिया।
18 अक्टूबर को ट्रिब्यूनल के उपाध्यक्ष न्यायिक एएस रावत और उपाध्यक्ष प्रशासन राजेंद्र सिंह की संयुक्त पीठ ने शिक्षा निदेशक द्वारा जारी वरिष्ठता सूची को निरस्त कर दिया। अभिकरण के इस आदेश के बाद अब शिक्षा विभाग को 12 साल बाद प्रवक्ता पदों की नई वरिष्ठता सूची बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी।