प्रदेश में पिछले सप्ताह हुए साइबर हमले के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि यह किसी बड़ी चूक का परिणाम है। उन्होंने कहा कि सिस्टम में कुछ कमजोरियां मौजूद थीं, जिनकी वजह से माकोप रैनसमवेयर जैसे हमले का सामना करना पड़ा।
विशेषज्ञ अमित दुबे का कहना है कि इस साइबर हमले का कारण तीन प्रकार की कमजोरियां हो सकती हैं। पहली कमजोरी तकनीकी स्तर पर है, जिसमें संभावित तकनीकी खामियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यदि पांच स्तर की सुरक्षा के बावजूद किसी फायरवॉल को तोड़ने की जानकारी नहीं मिलती, तो यह एक गंभीर तकनीकी मुद्दा है।
दूसरा कारण: प्रक्रिया के स्तर पर
दूसरा कारण प्रक्रिया के स्तर पर हो सकता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि सिस्टम को संचालित करने में अपनाई गई प्रक्रियाएं कितनी मजबूत या कमजोर हैं और उनमें कितने लूपहोल हैं।
तीसरा कारण: यूजर के स्तर पर
तीसरा कारण यूजर के स्तर पर भी हो सकता है। आईटीडीए से जुड़े उन सॉफ्टवेयर के उपयोगकर्ताओं के पास एडमिन राइट्स होते हैं, और यह देखना जरूरी है कि वे इसका उपयोग कैसे कर रहे हैं। साइबर अपराध के प्रति उनकी सजगता भी महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि संभव है कि कोई फायरवॉल मिसिंग हो, और यह भी आवश्यक है कि एक प्रॉपर बैकअप प्रणाली हो, ताकि ऐसी स्थिति में तुरंत अन्य विकल्पों से आईटी सेवाओं को सुचारू किया जा सके।
आज भी कई विभाग सिक्योर नेटवर्क पर नहीं
प्रदेश के कई विभाग आज भी ओपन नेटवर्क पर काम कर रहे हैं। बार-बार कहने के बावजूद वे स्वान या एनआईसी के सिक्योर नेटवर्क पर जाने को तैयार नहीं हैं। हालांकि, पुलिस के थाने और चौकियां सिक्योर नेटवर्क पर हैं, लेकिन कई पुलिस चौकियां अभी भी ओपन नेटवर्क का उपयोग कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये चौकियां सिक्योर नेटवर्क पर होतीं, तो शायद ऐसे हादसों से बचा जा सकता था।