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उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के पहिये थमेंगे दिवाली के बाद..निजी बसों के प्रवेश को लेकर विरोध प्रदर्शन की भी संभावना

उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है। कर्मचारी संविदा-विशेष श्रेणी चालक-परिचालक और अन्य कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं।

पिछले साल सरकार ने हड़ताल को रोकने के लिए एस्मा लागू किया था, लेकिन अब यह प्रभावी नहीं है। परिवहन निगम कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया है।

कर्मचारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे और भी कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे। यह स्थिति यात्रियों के लिए भी परेशानी का कारण बन सकती है।

उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों की मांगों को लेकर बने परिवहन निगम कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने दीपावली के बाद 5 नवंबर से प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है। कर्मचारी संविदा-विशेष श्रेणी चालक-परिचालक और अन्य कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार और परिवहन निगम प्रबंधन से सीधे टकराव के मूड में हैं।

पिछले वर्ष जनवरी और अप्रैल में इन मुद्दों पर प्रस्तावित हड़ताल को सरकार ने किसी तरह रोक लिया था, लेकिन इस बार संयुक्त मोर्चा ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है।

चार जनवरी को परिवहन निगम मुख्यालय की मांग पर सरकार ने आंदोलन और हड़ताल रोकने के लिए निगम में छह महीने के लिए एस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लागू किया था, जिससे कर्मचारियों के हाथ बंध गए थे। अब एस्मा प्रभावी न होने के कारण कर्मचारियों ने सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस स्थिति से यात्री सेवाओं पर असर पड़ सकता है।

निजी बसों के परमिट देने का विरोध

संयुक्त मोर्चा ने राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बसों के परमिट देने का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे परिवहन निगम की सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और निगम का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

कर्मचारियों ने आगामी 16 अक्टूबर को होने वाली संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में भी अपनी आपत्ति दर्ज कराने की बात कही है। उनका आरोप है कि सरकार जानबूझकर परिवहन निगम का अस्तित्व समाप्त करना चाहती है, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ेगा।

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