कई राज्यों में अरबों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले बाबा अमरीक सिंह के गिरोह के सदस्यों को दून पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। हाल ही में पुलिस ने अमरीक सिंह को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा था। गिरफ्तार आरोपित संजीव कुमार के खिलाफ विभिन्न राज्यों में 18 मुकदमे दर्ज हैं, और कई पुलिस विभाग इसकी तलाश में थे।
उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में जमीन के नाम पर अरबों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले अमरीक गैंग का दून पुलिस ने सफलतापूर्वक भंडाफोड़ कर दिया है। सभी आरोपितों को जेल भेज दिया गया है।
रविवार को राजपुर थाना पुलिस ने अंतिम 10 हजार रुपये का इनामी आरोपी मोहंड के निकट से गिरफ्तार किया। इस पर कुर्की की कार्रवाई चल रही थी, और पुलिस ने उसके यमुनानगर (हरियाणा) स्थित निवास के बाहर तीन दिनों से जेसीबी खड़ी की हुई थी।
करोड़ों रुपये का ठगी
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि गिरोह के सदस्य संजीव कुमार और संजय गुप्ता ने राजपुर निवासी गोविंद सिंह पुंडीर से जमीन खरीदने के नाम पर करोड़ों रुपये हड़प लिए थे। जब इस मामले में राजपुर थाने में मामला दर्ज हुआ, तो आरोपी फरार हो गए।
थानाध्यक्ष पीडी भट्ट की देखरेख में टीम ने 14 जुलाई को मोहम्मद अदनान को सहारनपुर से, 19 जुलाई को अमजद अली, शरद गर्ग और साहिल को उत्तर प्रदेश और हरियाणा से गिरफ्तार किया। गिरोह के सरगना बाबा अमरीक को 20 जुलाई को हिमाचल प्रदेश से पकड़ा गया।
गैर जमानती वारंट जारी
अजय सिंह ने बताया कि इस मामले में आरोपी संजीव कुमार और संजय गुप्ता लगातार फरार थे, जिनके खिलाफ न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किए थे। 23 सितंबर को पुलिस ने संजय गुप्ता को कचहरी परिसर से गिरफ्तार कर लिया।
संजीव कुमार की गिरफ्तारी और संपत्ति की कुर्की
रविवार को राजपुर थाना पुलिस की टीम गिरोह के अंतिम और प्रमुख सदस्य संजीव कुमार की संपत्ति की कुर्की और उसकी गिरफ्तारी के लिए यमुनानगर, हरियाणा पहुंची। जैसे ही उसे कुर्की की जानकारी मिली, संजीव कुमार अपने घर से फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने उसे मोहंड के पास से पकड़ लिया। इस आरोपी के खिलाफ विभिन्न राज्यों में धोखाधड़ी से संबंधित 18 मुकदमे दर्ज हैं।
सुनियोजित तरीके से धोखाधड़ी
पूछताछ के दौरान आरोपित ने बताया कि वह अपने गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर लोगों को जमीन दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करता था। गिरोह के सदस्य भोले-भाले लोगों को सस्ते दामों में जमीन बेचने का लालच देकर उन्हें अपने पास बुलाते थे।
लोगों का विश्वास जीतने के लिए बाबा अमरीक की सहायता से गिरोह के सदस्य जमीन की मिट्टी उठाकर उसे सूंघते थे, ताकि लोगों को यकीन दिला सकें कि यह जमीन उनके लिए उपयुक्त है। इसके बाद वे जमीन के एवज में मोटी रकम लेते थे, और रजिस्ट्री करने के लिए विभिन्न बहाने बनाकर बार-बार समय मांगते रहते थे। मौका मिलते ही सभी आरोपित वहां से फरार हो जाते थे।