राज्य सरकार ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना तैयार की है। इस पहल का उद्देश्य देववाणी को पुनर्जीवित करना और उसे अधिक लोगों के बीच लोकप्रिय बनाना है।
संस्कृत, जिसे देवभूमि की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है, को शिक्षा, साहित्य और अन्य क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके तहत विशेष पाठ्यक्रम, कार्यशालाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि युवा पीढ़ी इस प्राचीन भाषा से जुड़ सके।
सरकार का मानना है कि संस्कृत का प्रचार-प्रसार न केवल भाषा की समृद्धि के लिए आवश्यक है, बल्कि यह देश की संस्कृति और परंपराओं को भी जीवित रखने में मदद करेगा। इसके लिए विभिन्न संस्थानों और संगठनों के साथ सहयोग स्थापित किया जाएगा।
यह योजना न केवल देवभूमि की पहचान को सुदृढ़ करेगी, बल्कि संस्कृत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई पहचान दिलाने में सहायक होगी।
संस्कृत ग्रामों की स्थापना: नई पहल के तहत चयनित स्थान
उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई गांवों को ‘संस्कृत ग्राम’ के रूप में चिह्नित किया गया है। देहरादून के डोईवाला ब्लॉक में भोगपुर, टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक में मुखेम, उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक में कोटगांव, रुद्रप्रयाग के अगस्तमुनि ब्लॉक का बैजी गांव, चमोली के कर्णप्रयाग ब्लॉक का डिम्मर गांव, पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक का गोदा गांव, पिथौरागढ़ के मूनाकोट ब्लॉक का उर्ग गांव, अल्मोड़ा के रानीखेत ब्लॉक का पांडेकोटा गांव, बागेश्वर का सेरी गांव, चंपावत का खर्क कार्की गांव और हरिद्वार जिले के बहादराबाद ब्लॉक में नूरपुर और पंजनहेड़ी गांव इस योजना के तहत चयनित हुए हैं।
हर ब्लॉक में संस्कृत विद्यालयों की स्थापना
सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में पांच संस्कृत विद्यालय खोले जाएं, जहां पहली से पांचवीं कक्षा तक संस्कृत शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसका मतलब यह है कि हर ब्लॉक में कम से कम एक संस्कृत प्रवेशिका स्थापित की जाएगी। वर्तमान में, देहरादून से चार और हरिद्वार से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जबकि अन्य जिलों से भी आवेदन आ रहे हैं। राज्य में 100 से अधिक संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय मौजूद हैं, जिनमें अधिकांश कक्षाएं छठी से शुरू होती हैं।
छात्रों के लिए विविध विषयों का विकल्प
राज्य में चल रहे संस्कृत विद्यालयों को केवल संस्कृत शिक्षा तक सीमित नहीं रखा जाएगा। अगले सत्र से इनमें गणित, विज्ञान, जीव विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाने का विकल्प भी दिया जाएगा। इसके साथ ही, सरकार वैदिक गणित को भी इन विद्यालयों में शुरू करने की योजना बना रही है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को एक व्यापक शिक्षा प्रदान करना है।