भारी बारिश के चलते मलबा गिरने के कारण 324 सड़कें बंद हो गई हैं। गढ़वाल क्षेत्र में 72 यात्री रास्ते में ही फंस गए हैं। इन यात्रियों को निकाले जाने के लिए राहत और बचाव कार्य जारी है। स्थानीय प्रशासन ने सड़कें खोलने और फंसे हुए लोगों की मदद के लिए जरूरी कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उत्तराखंड में बीते दो दिनों से पहाड़ों और मैदानी इलाकों में रुक-रुककर लगातार हो रही बारिश ने हालात को गंभीर बना दिया है। बारिश के कारण आवागमन प्रभावित हो गया है और नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है। बदरीनाथ और हाईवे बंद होने के कारण कई तीर्थयात्री और स्थानीय लोग विभिन्न जगहों पर फंस गए थे। प्रशासन ने कई यात्रियों को आसपास ही रुकवा दिया, जबकि कुछ यात्रियों को मार्ग खुलने के बाद रवाना किया गया। इस बीच, खराब मौसम के चलते केदारनाथ यात्रा लगातार दूसरे दिन भी बंद रही।
चमोली के ज्योतिर्मठ में सुराई थोटा पर मलबा आने के कारण मलारी हाईवे दो स्थानों पर बंद हो गया है, जिससे 47 यात्री और स्थानीय लोग रास्ते में फंस गए हैं। एसडीआरएफ ने तीन यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया, जबकि स्थानीय लोग आसपास के गांवों में चले गए। लाता गांव के पास भी हाईवे बंद रहा। प्रशासन ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों को मलारी में ही रुकने की सलाह दी। वहीं, ज्योतिर्मठ नगर क्षेत्र में मलबा आने से नृसिंह मंदिर मार्ग लगभग दो घंटे तक बंद रहा, जिसके चलते बदरीनाथ जाने वाले वाहनों को बाजार से भेजा गया।
कमेड़ा में मलबा गिरने के कारण बदरीनाथ हाईवे बाधित हो गया, और यहां करीब 500 वाहन फंस गए। कुछ वाहनों को गौचर-सारी-छिनका मार्ग से रुद्रप्रयाग के लिए भेजा गया, लेकिन सड़क बंद होने के कारण रात को 25 से अधिक तीर्थयात्री जंगल में फंस गए। डीएम संदीप तिवारी ने रात को ही जेसीबी भेजवाई, और रात 10:30 बजे सड़क खुल गई, जिससे तीर्थयात्री रवाना हो सके। कमेड़ा में बदरीनाथ हाईवे 19 घंटे बाद खुल सका। दूसरी ओर, दिवालीखाली में नैनीताल हाईवे दो घंटे के लिए बंद रहा, जबकि थराली के सुनला में सड़क का खुलना और बंद होना जारी रहा। पर्थाडीप भूस्खलन क्षेत्र में लगातार भूस्खलन के कारण बदरीनाथ हाईवे शुक्रवार को पूरे दिन बंद रहा। चमोली और नंदप्रयाग से वाहनों को नंदप्रयाग-सैकोट-कोठियालसैंण सड़क से भेजा गया। पौड़ी जिले में धौलीधार के पास मलबा गिरने से ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया। यहां देवप्रयाग में यातायात रोक दिया गया और वाहनों को गजा चाका व श्रीनगर से मलेथा-टिहरी होकर ऋषिकेश की ओर डायवर्ट किया गया।
चमोली की पिंडर घाटी में बारिश के कारण पिंडर नदी उफान पर रही, जिससे सरस्वती शिशु मंदिर, पिंडर पब्लिक स्कूल और बेतालेश्वर मंदिर में नदी का पानी भर गया। थराली में नदी किनारे बने पांच से अधिक घरों के भूतल में भी पानी भर गया। नदी किनारे और आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोग रातभर जागते रहे। टिहरी जिले में भी बारिश के कारण लोनिवि की पांच और पीएमजीएसवाई की 10 सड़कें बंद रहीं। पौड़ी जिले के कोटद्वार क्षेत्र में बारिश के चलते लोनिवि और पीएमजीएसवाई की 33 सड़कों पर आवाजाही बाधित रही।