उत्तराखंड में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम (डीडीआरएस) की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जो इस पहल को लागू कर रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका उद्घाटन किया। उन्होंने जानकारी दी कि सेटअप पूरा होने के बाद, एक जनवरी 2025 से राज्य में डीडीआरएस पूरी तरह से क्रियान्वित होगा।
केंद्र सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे के निपटारे पर विशेष ध्यान दे रही है। इसी दिशा में उत्तराखंड में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तहत प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए डिजिटल डिपाजिट रिफंड सिस्टम (डीडीआरएस) की शुरुआत की गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में आयोजित एक समारोह में इसका उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने खुद प्लास्टिक की बोतल को बार कोड के माध्यम से स्कैन कर डिजिटल भुगतान प्राप्त किया। इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने इस पहल को लागू किया है। अगले चार महीनों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी व्यवस्था तैयार कर लेगा। एक जनवरी, 2025 से राज्य में डीडीआरएस पूरी तरह से प्रभावी होगा।
डीडीआरएस (डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम) के माध्यम से प्लास्टिक कचरे का संग्रहण सरल हो जाएगा और इसके रिसाइक्लिंग से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। इस सिस्टम के तहत, पानी, कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक बोतलों और चिप्स जैसे पैकेटों पर संबंधित कंपनियां क्यूआर कोड अंकित करेंगी। उपभोक्ता इन वस्तुओं की खरीद पर एक निर्धारित राशि चुकाएंगे, जो प्लास्टिक की बोतलें और रैपर दुकानदार को वापस करने पर डिजिटल माध्यम से वापस मिल जाएगी। एकत्रित प्लास्टिक कचरे को रिसाइक्लिंग कर अन्य उत्पाद बनाए जाएंगे। चारधाम में इस पहल के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले थे।
मुख्यमंत्री धामी ने इस मौके पर कहा कि प्लास्टिक कचरा पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती है, और इसके समाधान के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है। राज्य को ग्रीन और क्लीन बनाने की दिशा में डीडीआरएस एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने बताया कि दो साल पहले केदारनाथ में इस सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया था। इसके सफल संचालन के लिए रुद्रप्रयाग जिले को वर्ष 2022 में डिजिटल इंडिया अवार्ड भी मिल चुका है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि धरोहरों को प्लास्टिक के खतरों से सुरक्षित रखने के लिए सभी को सक्रिय रूप से भागीदारी निभानी होगी। इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, वन विभाग के प्रमुख डॉ. धनंजय मोहन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। सभी जिलाधिकारी वर्चुअली इस कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।