भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा 2024 में जारी की गई रिपोर्ट प्रदेश के वित्तीय परिदृश्य को लेकर उम्मीदें जगाने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 की तुलना में उत्तराखंड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 11.19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य ने 5310 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष प्राप्त किया। कैग की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार खर्चों में कमी लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 03.02 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है, जो कि वर्ष 2021-22 की तुलना में 11.19 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसी के साथ, राज्य के बजट का आकार भी लगातार बढ़ रहा है।
बजट का आकार 2018-19 के मुकाबले 10.59 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि के साथ 71 हजार करोड़ रुपये को पार कर चुका है। यह एक राहत की बात है कि बजट में लगातार वृद्धि के बावजूद, राजस्व घाटा अब पुरानी बात हो गई है। वर्ष 2022-23 में उत्तराखंड ने 5310 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) प्राप्त किया। इसके साथ ही, राज्य की मशीनरी ने राजकोषीय घाटे में भी कमी लाने में सफलता हासिल की है।
प्रदेश का राजस्व घाटा 980 करोड़ रुपये था
31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए तैयार की गई कैग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018-19 में प्रदेश का राजस्व घाटा 980 करोड़ रुपये था, जो जीएसडीपी का 0.43 प्रतिशत था। इसके बाद, वर्ष 2021-22 में न केवल राजस्व घाटे को बड़े अंतर से समाप्त किया गया, बल्कि इस वर्ष 4128 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष (सरप्लस) भी प्राप्त हुआ। सरकार ने इस प्रदर्शन में और सुधार किया, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2022-23 में राजस्व अधिशेष 5310 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। वर्ष 2021-22 की तुलना में यह वृद्धि 28.63 प्रतिशत रही।
वहीं, राज्य के कुल व्यय और कुल गैर-ऋण प्राप्तियों के बीच के अंतर को कम करके राजकोषीय घाटे को घटाने में भी सरकार सफल रही है। वर्ष 2018-19 में 7320 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 3.18 प्रतिशत) के राजकोषीय घाटे की तुलना में, अब यह घाटा वर्ष 2022-23 में घटकर 2949 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.97 प्रतिशत) रह गया है। इस तरह की कमी 21.07 प्रतिशत की रही।
खर्चों में 5.78 प्रतिशत की दर से वृद्धि वेतन और भत्तों पर सबसे अधिक खर्च
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश सरकार खर्चों में कमी लाने के लिए लगातार प्रयासरत है। हालांकि, वर्ष 2018-19 से लेकर वर्ष 2022-23 के बीच खर्चों में 5.78 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा ब्याज भुगतान, वेतन, पेंशन आदि पर हुआ है। इसके बावजूद, पिछले तीन वर्षों में प्राप्तियों में बढ़ोतरी के कारण इस खर्च में कुछ कमी देखी गई है। वर्ष 2018-19 में यह वचनबद्धता वाले खर्चे कुल खर्चों का 66.46 प्रतिशत थे, जो वर्ष 2022-23 में घटकर 58.94 प्रतिशत रह गए हैं। ब्याज, वेतन, और अन्य वचनबद्धता वाले खर्च सालाना 5.78 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ रहे हैं। ये खर्च 21,396 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,800 करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं।
ऋण में वृद्धि जदेनदारियां घट रही
उत्तराखंड सरकार का सार्वजनिक ऋण वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच 6.71 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। हालांकि, पुनर्भुगतान की प्रक्रिया में तेजी के कारण बकाया समग्र देनदारी 25.20 प्रतिशत से घटकर 24.08 प्रतिशत पर आ गई है। कैग ने इसे ऋण स्थिरीकरण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना है। इसके अलावा, राजकोषीय घाटा ऋण भी निर्धारित सीमा के भीतर पाया गया है। फिसकल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) अधिनियम के अनुसार, ऋण की सीमा जीएसडीपी के मुकाबले अधिकतम 33.90 प्रतिशत होनी चाहिए, जबकि वर्तमान में यह 24.08 प्रतिशत पर है।