उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने समाज कल्याण योजनाओं के सोशल ऑडिट को प्रभावी रूप से लागू किया है। इस पहल के अंतर्गत, राज्य सरकार ने सामाजिक लाभार्थियों और योजनाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक ऑडिट प्रक्रिया शुरू की है।
सोशल ऑडिट की प्रक्रिया में, योजनाओं का स्वतंत्र मूल्यांकन किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाभार्थियों को सही समय पर सही सहायता मिल रही है। इसके अलावा, यह ऑडिट यह भी सुनिश्चित करता है कि सरकारी धन का सही तरीके से उपयोग हो रहा है और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को समय पर पकड़ा जा सके।
उत्तराखंड की इस पहल का उद्देश्य समाज कल्याण योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ाना और जनहित में बेहतर परिणाम सुनिश्चित करना है। इस प्रकार की पहल देश के अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श उदाहरण स्थापित कर सकती है और समाज कल्याण के क्षेत्र में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संचालित समाज कल्याण योजनाओं के सोशल ऑडिट को अंजाम देने में उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बन गया है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत 46 आदर्श गांवों, नशा मुक्ति केंद्रों, वृद्धाश्रमों और आवासीय विद्यालयों का सोशल ऑडिट करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
मूलभूत सुविधाओं पर खर्च की जाने वाली राशि की निगरानी के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों से समाज कल्याण योजनाओं का ऑडिट कराने को कहा। इस पहल के तहत उत्तराखंड में 37 आदर्श गांवों, पांच आवासीय विद्यालयों, तीन नशा मुक्ति केंद्रों और एक वृद्धाश्रम का सोशल ऑडिट किया गया।
केंद्र सरकार की ओर से आदर्श गांवों के विकास के लिए 21 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। यह राशि लोगों की बुनियादी सुविधाओं के सुधार पर खर्च की जाती है। वहीं, आवासीय विद्यालयों में एसटी और एसटी वर्ग के छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।