नैनीताल:भारतीय हॉकी टीम के पूर्व खिलाड़ी मीर रंजन नेगी उत्तराखंड के नैनीताल आए हुए है। रविववार को हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर मीर रंजन अपने परिवार के साथ नैनीताल आए। जहां उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान याद किया की कैसे उन्हें देशद्रोही करार दे दिया गया था।
नैनीताल में खोलेंगे एकेडमी
रविवार को हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर मीर रंजन नेगी अपने परिवार के साथ नैनीताल आए। मीडिया से बात चीत के दौरान उन्होंने उत्तराखंड में खेलों के प्रति विकास के ऊपर कहा।
उन्होंने कहा की प्रदेश में खेलों के विकास की काफी आवश्यकता है। हॉकी के खिलाडियों के लिए नैनीताल में एस्ट्रो टर्फ मैदान होना चाहिए। अगर भगवान की कृपा रहेगी और उन्हें अगर मौका मिलेगा तो वो यहां पर एक अकादमी खोलेंगे।
जब देशद्रोही का मिला था टैग
इसके अलावा मीडिया से बातचीत में उन्होंने 1982 में एशियन हॉकी मैच की भी बात की। जब भारत को एशियन हॉकी में पाकिस्तान से 7-1 से करारी हार मिली थी। उन्होंने कहा की 1982 में पाकिस्तान से मिली हार उन्हें हमेशा दर्द देती है। उन्होंने ये भी बताया की उनपर आरोप लगे थे की वो पाकिस्तान से जान बूझकर हर गए। साथ ही उन्हें देशद्रोही का भी टैग दिया गया था।
पुरुष हॉकी टीम के कोच बने थे मीर
बता दें की काफी लम्बें वक्त से मेरे रंजन मैदान से दूर रहे थे। जिसके बाद साल 1998 में हॉकी फेडरेशन सचिव ज्योति कुमारन ने मीर रंजन को पुरुष हॉकी टीम का कोच नियुक्त किया। 32 साल के बाद भारत ने हॉकी में गोल्ड जीता था। गोल्ड मैडल जीतने के बाद ही उनपर से देशद्रोही का टैग हटा