उत्तरकाशी/देहरादून: सिल्क्यारा-पोलगांव सुरंग के अंदर 3 दिनों से फंसे 40 से ज्यादा लोगों को निकालने में हर सेकंड महत्वपूर्ण है। बताया जा रहा है कि फंसे हुए लोगों में सेहत संबंधी समस्याएं सामने आने लगी हैं। मंगलवार को फंसे हुए श्रमिकों की डॉक्टरों से बात कराई गई। इस दौरान मजदूरों ने उल्टी और सिरदर्द की शिकायत की है। चिकित्सक डॉ. बीएस पोखरियाल ने बताया कि सुरंग में फंसे लोग बीमार पड़ने लगे हैं। हमने उन्हें मल्टी-विटामिन दिया है, लेकिन हम ओआरएस पाउच नहीं भेज सकते क्योंकि यह पाइप में फंस सकता है, जिससे मजदूरों से कम्युनिकेशन और उन्हें भोजन-पानी भेजने में दिक्कत आ सकती है।
जानकारी के मुताबिक, रविवार रात जब सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों से पहली बार वॉकी-टॉकी के जरिये संपर्क हुआ तो उन्होंने खाना मांगा था। यह इच्छा उन्होंने कागज पर लिखकर पाइपलाइन के जरिए भेजी थी। इसके साथ ही मजदूरों ने यह भी लिखा था कि खाने की भले कमी हो जाए, लेकिन ऑक्सीजन की कमी मत होने देना। साथ ही उन्होंने तंबाकू की मांग भी की। वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि सुरंग में पर्याप्त पानी है। इमरजेंसी हालात को देखते हुए वहां पर्याप्त पानी रखा जाता है, इसलिए पानी सप्लाई की कोई चिंता नहीं है।
डॉक्टर ने बताया कि सुरंग के अंदर बिजली है और वहां अंदर घूमने के लिए भी लगभग 1 किमी की जगह है। इससे उन्हें तब तक सुविधा होगी, जब तक उन्हें बाहर नहीं निकाला जाता। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के अंदर रहने वालों को गैस्ट्राइटिस या एंग्जायटी की समस्या हो सकती है। हम लगातार मेडिकल से जुड़ी चीजों की आपूर्ति कर रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों ने फंसे हुए श्रमिकों के सामने आने वाली शारीरिक चुनौतियों के बारे में चिंता जताई थी क्योंकि कम ऑक्सीजन और क्लॉस्ट्रोफोबिक स्थितियों से मजदूरों में मतिभ्रम जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
उन्होंने कहा कि हमने 7 हजार लीटर क्षमता वाले 25-30 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर अलग रखे हैं। जब जरूरत होगी, हमारे कर्मचारी उन्हें सुरंग अधिकारियों तक पहुंचा देंगे। इस बीच, जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जरूरतमंद लोगों को निकालने के तुरंत बाद एम्स ऋषिकेश पहुंचाने के लिए एयर एम्बुलेंस को स्टैंडबाय पर रखा है। मंगलवार शाम को केंद्रीय सड़क परिवहन सचिव अनुराग जैन ने बचाव अभियान की प्रगति पर एक समीक्षा बैठक की, जिसमें उत्तरकाशी प्रशासन के अधिकारियों ने भाग लिया।
सूत्रों ने कहा कि जैन ने बचाव अभियान में लगे अधिकारियों और एजेंसियों को काम में तेजी लाने का निर्देश दिया। बताया गया कि मौके से अधिकारियों ने केंद्र को सूचित किया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को आवश्यक चीजें प्रदान की जा रही हैं। राज्य जल बोर्ड के अधिकारियों ने सुरंग को निकालने के लिए स्टील पाइप लगाने की दिशा में की जा रही प्रगति के बारे में भी जानकारी दी। इस परियोजना में काम जुलाई 2018 में शुरू हुआ था और इसे जुलाई 2022 तक पूरा होना था। वर्तमान में फीजिकल प्रोग्रेस 52% है और इसके पूरा होने का संशोधित लक्ष्य दिसंबर 2024 है। अब तक 4.2 किमी सुरंग में से 2.3 किमी का काम पूरा हो चुका है।