देहरादून: उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन को मजबूती देने के उद्देश्य से सरकार अब अन्य राज्यों में हुई बेहतर पहल को यहां भी अपनाने पर जोर दे रही है। इसी कड़ी में यहां के किसानों को अध्ययन के लिए विभिन्न राज्यों में भेजा जा रहा है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के बाद अब 13-13 किसानों के दल को गुजरात व महाराष्ट्र भेजने की तैयारी है। अध्ययन के बाद वापस लौटने पर ये किसान संदर्भ व्यक्ति की भूमिका निभाते हुए राज्य के अन्य किसानों को प्रशिक्षित करेंगे।
केंद्र सरकार लगातार सहकारिता को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। इस कड़ी में प्रदेश सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं। सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण के साथ ही बहुद्देश्यीय समिति के रूप में इनका उपयोग किया जा रहा है। किसानों से सेब, मोटा अनाज समेत उत्पाद इन समितियों के माध्यम से खरीदे जा रहे हैं। इसके अलावा किसान उत्पादक समूह बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यही नहीं, अन्य राज्यों में सहकारिता के क्षेत्र में क्या हो रहा है, वहां कौन-कौन सी सफल पहल हुई हैं, इसकी बारीकियां सिखाने के लिए किसानों को अध्ययन के लिए भेजा जा रहा रहा है।
सेब उत्पादन के साथ ही इसके विपणन आदि से जुड़ी जानकारियों के अध्ययन के दृष्टिगत हाल में 13-13 किसान हिमाचल और जम्मू-कश्मीर भेजे गए हैं। अब सभी जिलों से एक-एक किसान चयनित कर उन्हें गुजरात व महाराष्ट्र भेजा जा रहा है। इसके लिए किसानों का चयन कर लिया गया है। निबंधक सहकारी समितियां आलोक कुमार पांडेय के अनुसार गुजरात व महाराष्ट्र ने सहकारिता के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया है। उन्होंने बताया कि दो-तीन दिन के भीतर किसानों के ये दल रवाना किए जाएंगे।
वे दोनों राज्यों में दुग्ध उत्पादन, दुग्ध उत्पाद व विपणन, किसानों के समूह व उनके कार्य समेत अन्य विषयों का स्थलीय भ्रमण कर अध्ययन करेंगे। सहकारिता को गति देने के मद्देनजर इन किसानों का संदर्भव्यक्ति के रूप में उपयोग किया जाएगा। यानी, ये किसान सभी जिलों में अन्य किसानों के साथ दूसरे राज्यों से लिए गए ज्ञान को साझा करेंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रमों की श्रृंखला विभाग की ओर से शुरू की जाएगी।