एशियाई खेलों की आधिकारिक शुरुआत हो चुकी है और पदक तालिका में भारत का खाता भी खुल चुका है। नौकायन में अर्जुन और अरविंद की जोड़ी ने रजत पदक जीता है। वहीं, महिला शूटिंग टीम भी रजत पदक पर निशाना साध चुकी है। भारत की महिला क्रिकेट टीम भी कम से कम रजत पदक पक्का कर चुकी है।
आइए जानते हैं एशियाई गेम्स में 10 मीटर एयर राइफल महिला टीम स्पर्धा में सिल्वर पदक हासिल करने वाली रमिता, आशी चौकसे और मेहुली घोष की सफलता की कहानी।
एशियाई खेलों में भारत ने पदक तालिका में अपना खाता खोल लिया है। देश की बेटियां एशियाई गेम्स में भारत का नाम रोशन कर रही हैं। महिला शूटिंग टीम ने रजत पदक पर निशाना साध लिया है तो भारत की महिला क्रिकेट टीम ने रजत पदक पर दावा पक्का किया है। भारतीय महिला मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी हैं। 19 साल की निशानेबाज रमिता ने एयर राइफल में भारत के लिए कांस्य पदक दिलाया है। उसके साथ टीम स्पर्धा में मेहुली घोष और आशी चौकसे का नाम भी शामिल है।
आशी चौकसे की उपलब्धि
मध्य प्रदेश की रहने वाली युवा प्रतिभाशाली निशानेबाज आशी चौकसे ने इसके पहले केरल नेशनल राइफल शूटिंग में डबल गोल्ड जीता। आशी ने भेल के कार्मल कान्वेंट से पढ़ाई पूरी की। स्कूल के दिनों में उन्होंने एनसीसी ज्वाइन की। इस दौरान 2017 में आशी ने पहली बार बंदूक पकड़ी थी। जब एनसीसी ट्रेनिंग में वह सही निशाना लगातीं, तो उनकी रुचि इस खेल में बढ़ने लगी। उसी वर्ष मध्य प्रदेश अकादमी के ट्रायल में उनका सिलेक्शन हो गया। पिछले 6-7 वर्षों में आशी चौकसे ने 14 नेशनल गोल्ड जीते। साथ ही अजरबैजान वर्ल्ड कप में गोल्ड जीतकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी धाक जमा ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके तीन कांस्य पदक भी हैं। एशियाई खेलों में सिल्वर जीतने वाली आशी चौकसे का लक्ष्य ओलंपिक है।
मेहुली घोष
पश्चिम बंगाल की मेहुली घोष के नाम एशियाई खेलों में पदक जीतने के अलावा कई और बड़ी उपलब्धियां हैं। हालांकि उनकी सफलता के पीछे बहुत संघर्ष भी है। 13 साल की उम्र में उन्होंने निशानेबाजी की ट्रेनिंग शुरू कर दी। वहीं महज 15 साल की उम्र में पश्चिम बंगाल स्थित सेरामपुर राइफल क्लब में ट्रेनिंग सेशन के दौरान मेहुली ने एक शाॅट मिसफायर कर दिया। इस दौरान एक कर्मचारी के पैर पर चोट लग गई और मेहुली को फेडरेशन से सस्पेंड कर दिया। कुछ सालों तक प्रतियोगिता में भाग न ले पाने के कारण वह अवसाद की समस्या से परेशान हो गईं। हालांकि उनके परिवार ने उनका हौसला बढ़ाया और एक बार फिर राइफल उठाई।
रमिता
हरियाणा की होनहार बेटी रमिता ने निशानेबाजी के कुरुक्षेत्र में दमदार प्रदर्शन करते हुए एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल हासिल किया है। रमिता के पिता अरविंद जिंदल पेशे से वकील हैं, उन्होंने हमेशा रमिता को अपने सपने पूरे करने के लिए प्रोत्साहित किया। रमिता बारिश में भी जूते हाथों में लिए नंगे पांव ट्रेनिंग के लिए एकेडमी पहुंच जाया करती थीं। निशानेबाजी के साथ ही वह पढ़ाई में भी काफी होनहार हैं। रमिता ने पेरिस ओलंपिक 2024 में प्रतिभाग करने का लक्ष्य बनाया है।