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दिमाग को भी स्वस्थ रहने के लिए एक्सरसाइज की जरूरत जानिए क्या करें

हमारी याददाश्त और मानसिक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए दिमागी व्यायाम बेहद महत्वपूर्ण हैं। नियमित रूप से कुछ खास ब्रेन एक्सरसाइज करने से आप न केवल अपने दिमाग को तेज़ कर सकते हैं, बल्कि फोकस भी बढ़ा सकते हैं। यहां कुछ ऐसे 5 आसान ब्रेन एक्सरसाइज बताए गए हैं, जिन्हें रोज़ाना करने से आपकी याददाश्त में सुधार हो सकता है:

  1. पजल्स और क्रॉसवर्ड्स हल करें
    पजल्स और क्रॉसवर्ड्स हल करना दिमाग के लिए एक बेहतरीन एक्सरसाइज है। ये गतिविधियाँ मस्तिष्क को चुनौती देती हैं और दिमागी क्षमता को बढ़ाती हैं, जिससे आपकी याददाश्त और फोकस बेहतर होते हैं।

  2. नए कौशल सीखें
    कुछ नया सीखना, जैसे एक नई भाषा, संगीत वाद्ययंत्र बजाना या कोई नया शौक अपनाना, दिमाग को सक्रिय रखता है। नया ज्ञान और नई जानकारी मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और याददाश्त में सुधार करते हैं।

  3. मेडिटेशन और ध्यान
    ध्यान और मेडिटेशन से मानसिक शांति मिलती है और फोकस बेहतर होता है। यह मस्तिष्क के तनाव को कम करता है और दिमागी स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। रोज़ाना 10-15 मिनट ध्यान करना फायदेमंद हो सकता है।

  4. मनोविज्ञानात्मक खेल खेलें
    दिमागी खेल जैसे सुदोकू, शतरंज, या मेमोरी गेम्स खेलने से दिमागी कौशल बढ़ता है। ये खेल मानसिक स्थिति को सक्रिय रखते हैं और याददाश्त को मजबूत करते हैं।

  5. फिजिकल एक्सरसाइज करें
    शारीरिक व्यायाम, जैसे योग, दौड़ना, तैरना, या वॉकिंग, दिमागी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। ये न केवल शरीर को फिट रखते हैं, बल्कि दिमागी ताजगी और बेहतर मानसिक क्षमता भी प्रदान करते हैं।

इन सरल और प्रभावी ब्रेन एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और दिमागी क्षमता में बदलाव महसूस करें। रोज़ाना इन्हें करने से आपका फोकस बढ़ेगा और याददाश्त भी बेहतर होगी!

उत्तराखंड सरकार होम स्टे के क्षेत्र में अपनी सुविधाओं को और अधिक कर रही विकसित

केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है, और इसी दिशा में सैलानियों के ठहरने व भोजन की सुविधा उपलब्ध कराना सबसे अहम पहलू बनकर उभर रहा है। इस उद्देश्य के लिए होम स्टे एक बेहतरीन विकल्प के रूप में सामने आ रहा है। इसके तहत, केंद्र सरकार अब राष्ट्रीय स्तर पर होम स्टे नीति बनाने की तैयारी में है।

नीति आयोग की टीम ने हाल ही में उत्तराखंड समेत चार राज्यों की होम स्टे नीतियों का अध्ययन किया। अब आयोग अपनी संस्तुतियां केंद्र सरकार को भेजने की प्रक्रिया में है, जिसमें उत्तराखंड की होम स्टे नीति के प्रावधान भी शामिल किए जा रहे हैं। इनमें स्थानीय निवासियों के लिए सब्सिडी, पानी और बिजली की घरेलू दरें जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जो राज्य की होम स्टे नीति को और अधिक आकर्षक बनाएंगे।

उत्तराखंड में पर्यटन और तीर्थाटन का महत्व

उत्तराखंड में पर्यटन और तीर्थाटन का क्षेत्र राज्य की आर्थिकी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू है। नैसर्गिक सुंदरता से परिपूर्ण उत्तराखंड में हर साल पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इस बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है, ताकि उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित किया जा सके।

ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम स्टे की पहल, सरकार द्वारा अनुदान और छूट का प्रावधान

उत्तराखंड में अब तक स्थापित पर्यटक स्थलों से हटकर, ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्यटन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस दिशा में, ग्रामीण स्तर पर पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधा प्रदान करने के लिए होम स्टे की पहल की गई है। वर्तमान में, राज्य में 5,000 से अधिक होम स्टे स्थापित हो चुके हैं, जो पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली से जुड़ने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं।

सरकार होम स्टे को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान राशि देती है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस पहल में शामिल हो सकें। इसके अलावा, पर्यटन विकास परिषद की वेबसाइट पर होम स्टे का पंजीकरण भी किया जाता है, जो उनकी प्रमोशन में मदद करता है। इस योजना में कई तरह की छूट भी प्रदान की जाती हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को और भी आकर्षक और लाभकारी बनाती हैं।

उत्तराखंड में मिलावटी कुट्टू के आटे के खिलाफ सरकार ने की सख्त कार्रवाई शुरू

उत्तराखंड के दून और हरिद्वार में कुट्टू के आटे से फूड प्वॉइजनिंग के 384 मामलों के सामने आने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। मंगलवार को विभाग ने प्रदेश भर में 1,500 से अधिक दुकानों पर छापेमारी की और कुट्टू के आटे समेत अन्य खाद्य वस्तुओं के 100 से ज्यादा सैंपल लिए। इसके अलावा, दो दर्जन से अधिक दुकानों को नोटिस जारी किए गए हैं।

दून में मिलावट की आशंका के चलते 100 किलो कुट्टू के आटे को जब्त कर नष्ट किया गया। इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि खाद्य सुरक्षा विभाग मिलावटी और असुरक्षित खाद्य सामग्री के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है।

इस बीच, स्वास्थ्य सचिव ने कुट्टू के आटे से बने व्यंजन खाने के कारण लोगों के बीमार पड़ने की जांच के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की पांच सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया है। यह समिति मामले की जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त ताजबर सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति में उपायुक्त राजेंद्र सिंह रावत, सतर्कता सह अभिसूचना शाखा के अधिकारी और स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से नामित दो वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति तीन दिनों के भीतर स्वास्थ्य सचिव को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी, ताकि फूड प्वॉइजनिंग के मामलों की जांच और मिलावट के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकें।

स्वास्थ्य सचिव और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि आम जनता को मिलावटखोरों के खिलाफ जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि केवल जनता के सहयोग से ही मिलावटखोरी को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने यह भी समझाया कि लोगों को यह समझना जरूरी है कि मिलावटी खाद्य पदार्थ उनके स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक हो सकते हैं।

सरकारी कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति के संबंध में अब नए और कड़े नियम लागू

प्रदेश सरकार ने अब प्रतिनियुक्ति, सेवा स्थानांतरण और बाह्य सेवा के तहत कर्मचारियों की तैनाती को हतोत्साहित करने का फैसला किया है। इसके तहत, अब किसी कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर अधिकतम पांच वर्ष ही तैनाती मिल सकेगी। यदि किसी कर्मचारी को इस अवधि के बाद भी तैनाती बढ़ाने की आवश्यकता होगी, तो उसे पांच वर्ष का “कूलिंग पीरियड” पूरा करना होगा। इस अवधि के बाद संबंधित कर्मचारी पुनः आवेदन कर सकेगा, लेकिन इस मामले में निर्णय लेने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी।

किसी भी कर्मचारी को सेवा काल में अधिकतम दो बार ही प्रतिनियुक्ति का लाभ मिलेगा। यदि प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद कर्मचारी अपने मूल विभाग में वापस नहीं लौटता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री धामी ने जताई थी नाराजगी

प्रदेश में विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, अभियांत्रिकी सेवाओं समेत विभिन्न विभागों के कई कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है, जब मूल विभाग पहले से ही कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा और सेवा स्थानांतरण के माध्यम से कर्मचारियों की तैनाती पर नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इस व्यवस्था को हतोत्साहित किया जाए।

इस संदर्भ में वित्त सचिव वी. शणमुगम ने मंगलवार को सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों, प्रभारी सचिवों, मंडलायुक्तों, विभागाध्यक्षों और कार्यालयाध्यक्षों के साथ एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा और सेवा स्थानांतरण की परिभाषाओं को स्पष्ट किया गया है और इन माध्यमों से तैनाती के संबंध में नियमों को कड़ा किया गया है।

अब इन माध्यमों से सामान्य तैनाती की अवधि तीन वर्ष निर्धारित की गई है, जिसे वित्त विभाग की सहमति से दो वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है। यह अवधि अधिकतम पांच वर्ष तक होगी और इसे किसी भी स्थिति में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

प्रतिनियुक्ति की अवधि पूरी होने के बाद कर्मचारी को पांच वर्ष का कूलिंग पीरियड अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। इसके बाद ही प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा या सेवा स्थानांतरण के नए प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इन प्रस्तावों पर निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति द्वारा लिया जाएगा। समिति में कार्मिक विभाग, वित्त विभाग, कर्मचारी के पैतृक विभाग और प्रतिनियुक्ति से संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव सदस्य के रूप में शामिल होंगे।

बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं में तैनात कर्मचारियों के लिए सामान्य पांच वर्ष की सीमा लागू नहीं होगी, लेकिन इस समय अवधि को बढ़ाने के लिए मुख्य सचिव की समिति से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति में पांच वर्ष से कम समय बचा है, उन्हें प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा और सेवा स्थानांतरण का लाभ नहीं मिलेगा।

कुट्टू के आटे से बने व्यंजन खाने से देहरादून और हरिद्वार में 363 लोग बीमार

उत्तराखंड के देहरादून और हरिद्वार में कुट्टू के आटे से बने व्यंजन खाने के बाद 363 लोग बीमार पड़ गए। यह आटा सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) से सप्लाई किया गया था। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू कर दी है।

साहरणपुर और देहरादून के थोक व्यापारी गिरफ्तार
देहरादून में आटा सप्लाई करने के मामले में पुलिस ने सहारनपुर के दो और देहरादून के एक थोक व्यापारी को गिरफ्तार किया है। वहीं, एक चक्की मालिक की तलाश की जा रही है। इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

29 दुकानों पर छापेमारी
इसके अलावा, पुलिस ने 29 दुकानों में छापेमारी कर कुट्टू का आटा जब्त किया है। हरिद्वार में भी आटा सप्लाई करने वाले सहारनपुर के निर्माता और लक्सर के सप्लायर पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

फूड प्वाइजनिंग के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ी
रविवार रात बड़ी संख्या में मरीज दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल), श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में फूड प्वाइजनिंग के शिकार होकर पहुंचने लगे। इन मरीजों को पेट दर्द, उल्टी, दस्त जैसी समस्याएं हो रही थीं। अस्पतालों में इलाज जारी है और उनकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है।

इस मामले के बाद स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच और निगरानी बढ़ा दी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

सभी मरीजों को उल्टी, जी मिचलाना, चक्कर आना और घबराहट की शिकायत थी। जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि नवरात्र के पहले दिन व्रत रखने के कारण उन्होंने शाम को कुट्टू के आटे से बनी पूरी आदि खाई थी। इसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई और उन्हें उल्टी, जी मिचलाना, चक्कर आना और घबराहट जैसी समस्याएं होने लगीं।

रातभर अस्पतालों में मरीजों को लाने-ले जाने का सिलसिला जारी रहा। अस्पतालों में इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि फूड प्वाइजनिंग के लक्षण दिखाई दे रहे थे और मरीजों को इलाज के बाद राहत मिली है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और सुरक्षा पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।

कार्बेट पार्क का सफर फिर महंगा, जिप्सी सफारी शुल्क में बढ़ोतरी

उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क में अब सफारी कराने वाली पंजीकृत जिप्सियों का शुल्क तीन साल बाद बढ़ा दिया गया है। सीटीआर निदेशक डॉ. साकेत बडोला द्वारा इस बढ़ोतरी को मंजूरी देने के बाद, यह शुल्क आज से लागू हो जाएगा।

सफारी शुल्क में बढ़ोतरी
अब डे-सफारी के लिए हर जिप्सी पर ₹200 की अतिरिक्त लागत आएगी। इस बढ़ोतरी के बाद, कार्बेट पार्क के प्रमुख पर्यटन जोन जैसे ढिकाला, बिजरानी, ढेला, झिरना, दुर्गादेवी और गिरिजा में सफारी के लिए पंजीकृत 383 जिप्सियों का शुल्क बढ़ जाएगा। जिप्सी मालिक लंबे समय से इस बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे, जिसे अब कार्बेट प्रशासन ने मंजूरी दे दी है।

नए शुल्क संरचना

  • बिजरानी जोन का शुल्क अब ₹2700 हो गया है, जो पहले ₹2500 था।

  • झिरना, ढेला, दुर्गादेवी, और गिरिजा पर्यटन जोन का शुल्क अब ₹2800 से बढ़कर ₹3000 हो गया है।

नई शुल्क संरचना की जानकारी
पार्क के वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि यह शुल्क 1 अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही, कार्बेट पार्क की वेबसाइट पर जिप्सी के नए शुल्क की जानकारी भी अपलोड कर दी गई है। हालांकि, कालागढ़ के पाखरो और सोनानदी पर्यटन जोन के जिप्सी शुल्क में अभी कोई संशोधन नहीं किया गया है।

पिछली बार नवंबर 2021 में जिप्सी शुल्क में बढ़ोतरी की गई थी।

गर्मियों में बढ़ी पर्यटकों की संख्या
इस बीच, जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, कार्बेट पार्क के पहाड़ी इलाकों में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ गई है। मैदान में बढ़ते तापमान के कारण पर्यटक पहाड़ों का रुख कर रहे हैं, जिससे पार्क में रौनक लौट आई है।

अप्रैल ने बढ़ते तापमान के साथ दस्तक दी, शीतल पहाड़ों की ओर बढ़ा पर्यटकों का रुझान

अप्रैल महीने ने जैसे ही अपनी शुरुआत की, गर्मी ने भी अपनी पूरी ताकत दिखाना शुरू कर दिया है। मैदानी क्षेत्रों में उमस और गर्मी का असर बढ़ता जा रहा है, जिससे लोग शीतल पहाड़ों की ओर रुख करने लगे हैं। इस समय, मैदानी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पर्यटक बागेश्वर के पर्यटन स्थलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

कौसानी, बैजनाथ और बागनाथ नगरी इन दिनों पर्यटकों से गुलजार हैं। इन ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक सुंदरता और शांति की तलाश में लोग यहां आ रहे हैं, ताकि गर्मी और उमस से राहत मिल सके। इन इलाकों में ठंडी हवाएं और हरे-भरे दृश्य पर्यटकों को खास आकर्षित कर रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र अब एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है।

गर्मी के मौसम में खुद को हाइड्रेटेड रखना जरुरी , नारियल पानी और नींबू पानी का करें सेवन

दो प्रमुख विकल्प, नारियल पानी और नींबू पानी, दोनों ही अपनी विशेषताओं के कारण गर्मियों में फायदेमंद होते हैं। लेकिन, इनमें से कौन सी ड्रिंक ज्यादा बेहतर है? आइए, इनके फायदों और गुणों पर एक नजर डालते हैं:

नारियल पानी (Coconut Water) के फायदे:

  1. प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स: नारियल पानी में पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं और गर्मी के मौसम में शरीर में तरल पदार्थ की कमी को दूर करते हैं।

  2. पाचन में मदद: यह पेट को ठंडक पहुँचाता है और पाचन में सुधार करता है। इसे पीने से एसिडिटी, कब्ज़ और पेट में जलन जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं।

  3. कम कैलोरी: नारियल पानी में कम कैलोरी होती है, जिससे यह वजन नियंत्रण में मदद करता है।

  4. प्राकृतिक शीतलन: नारियल पानी शरीर को अंदर से ठंडा करता है, जिससे गर्मी से राहत मिलती है।

नींबू पानी (Lemon Water) के फायदे:

  1. विटामिन C का स्रोत: नींबू पानी में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और त्वचा की चमक बढ़ाता है।

  2. पाचन सुधार: यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है, एसिडिटी और गैस्ट्रिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

  3. Detoxification: नींबू पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है, जिससे आपकी त्वचा भी साफ और चमकदार बनी रहती है।

  4. हाइड्रेशन और ताजगी: यह शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ ताजगी का अहसास भी देता है और गर्मियों में थकान को दूर करने में मदद करता है।

नारियल पानी vs नींबू पानी: कौन सी ड्रिंक बेहतर है?

  • अगर आप शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी और हाइड्रेशन की तलाश में हैं, तो नारियल पानी बेहतर रहेगा। यह गर्मी में अधिक लाभकारी है, खासकर जब आप अधिक पसीना बहाते हैं या बाहर गर्मी में होते हैं।

  • अगर आप विटामिन C, Detoxification, और पाचन की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो नींबू पानी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

  • लो कैलोरी और नेचुरल हाइड्रेटर – नारियल पानी शुगर और कैलोरी में कम होता है, जिससे यह वजन घटाने वालों के लिए एक आदर्श विकल्प है। इसमें मौजूद प्राकृतिक खनिज शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे आप तरोताजा महसूस करते हैं।

  • पाचन तंत्र के लिए लाभकारी – नारियल पानी पाचन को सुधारता है और एसिडिटी, कब्ज़ जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। यह पेट को ठंडक पहुंचाता है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है।

  • त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद – इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C की प्रचुर मात्रा होती है, जो त्वचा को चमकदार बनाता है और बालों को मजबूती प्रदान करता है। यह त्वचा के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखने में सहायक है।

निष्कर्ष:

दोनों ड्रिंक्स अपने-अपने तरीके से फायदेमंद हैं, और इन्हें अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। हालांकि, गर्मियों में शरीर को हाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट्स की जरूरत होती है, तो इस मामले में नारियल पानी गर्मी के मौसम के लिए ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन, नींबू पानी भी इम्यूनिटी और Detoxification के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।

इसलिए, अगर आप दोनों का संयोजन करें, तो और भी बेहतर रहेगा!

राज्य सरकार ने आज से 2025-26 के वित्तीय वर्ष की शुरुआत

नए वित्तीय वर्ष के संबंध में सचिव वित्त द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिनके अनुसार पूंजीगत खर्चों में स्वीकृत बजट का 80 प्रतिशत मौजूदा योजनाओं पर खर्च किया जाएगा, जबकि नई योजनाओं के लिए केवल 20 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध होगी।

मंगलवार से प्रदेश सरकार ने 2025-26 का नया वित्तीय वर्ष शुरू कर दिया है। वित्त विभाग ने सभी प्रशासनिक विभागों के लिए बजट की आय और व्यय संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस वित्तीय वर्ष से, कैंपा की धनराशि का उपयोग केंद्र पोषित योजना के मॉडल के तहत किया जाएगा।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया गया निर्णय अब वित्त विभाग के दिशा-निर्देशों में शामिल कर लिया गया है। सचिव वित्त दिलीप जावलकर द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, पूंजीगत खर्चों में स्वीकृत बजट का 80 प्रतिशत मौजूदा योजनाओं पर खर्च किया जाएगा, जबकि नई योजनाओं के लिए केवल 20 प्रतिशत धनराशि निर्धारित की जाएगी।

हर साल की तरह इस बार भी वित्त विभाग ने सभी विभागों को किफायत बरतने के निर्देश दिए हैं। एक करोड़ रुपये से अधिक के नए कार्यों की स्वीकृति तब ही दी जाएगी जब उस पर गति शक्ति पोर्टल से जनरेटेड यूनिक आईडी का उल्लेख होगा। सभी विभागों को 30 अप्रैल तक योजनावार कार्यों की रिपोर्ट वित्त विभाग को भेजनी होगी।

वित्त विभाग ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई है कि बजट की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए ही स्वीकृतियां दी जाएं। पूंजीगत कार्यों के लिए नई वित्तीय स्वीकृति केवल अंतिम तिमाही में नहीं दी जाएगी। इसके लिए विभागाध्यक्ष, प्रशासनिक विभाग और संबंधित वित्त व्यय नियंत्रण विभाग को जवाबदेह ठहराया गया है। वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रतीक (टोकन) धनराशि के आधार पर योजनाओं को स्वीकृति देना उचित नहीं है, क्योंकि कम धनराशि के कारण योजनाओं पर काम धीमी गति से चलता है, जिससे समय और लागत दोनों में वृद्धि होती है।

वित्त विभाग ने ऐसे कार्यों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है, जिन पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। ऐसे कार्यों को निरस्त कर, उनके पुनः आगणन के आधार पर बजट की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए स्वीकृति दी जाएगी। इसके अलावा, विभाग ने सबसे पहले राज्य आकस्मिता निधि से निकाली गई धनराशि की प्रतिपूर्ति करने को कहा है।

इसके साथ ही, विभागों से कहा गया है कि यदि कोई पूंजीगत योजना राज्य सेक्टर से दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना रखती है, तो उसे एसएएसीआई के तहत अनिवार्य रूप से प्रस्तावित किया जाए।

कुट्टू के आटे से बीमार होने के प्रकरण में पुलिस और प्रशासन ने की सख्त कार्रवाई

जनपद देहरादून में कुट्टू के आटे के सेवन से कई लोगों के बीमार होने के मामले में उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने पीड़ितों से मुलाकात की और मामले की पूरी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी देहरादून और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।

इसके बाद, पुलिस ने महज दो घंटे के भीतर 22 दुकानों और स्टोरों को चिन्हित किया, जहां से लोगों ने कुट्टू का आटा खरीदा था और उसका सेवन किया था, जिससे उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। पुलिस प्रशासन की टीमों ने इन दुकानों और स्टोरों पर रेड मारकर उन्हें सील कर दिया। इसके साथ ही उन सभी खाद्य पदार्थों को सीज किया गया जिनमें कुट्टू के आटे के मिश्रण की संभावना थी। दुकानदारों को थाने लाकर उनसे सघन पूछताछ की जा रही है।

प्रारंभिक पूछताछ में यह जानकारी मिली कि कुट्टू के आटे का मुख्य सप्लायर सहारनपुर का है। इस संबंध में जिलाधिकारी देहरादून और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने सहारनपुर के जिलाधिकारी से बातचीत की और सप्लायर के गोदाम में कार्रवाई करने की जानकारी दी। सहारनपुर में इस मामले पर कार्यवाही की जा रही है और देहरादून से एक पुलिस टीम सहारनपुर के लिए रवाना की गई है।

इस सख्त कार्रवाई के तहत पुलिस और प्रशासन का प्रयास है कि कुट्टू के आटे से संबंधित सभी कुप्रभावों को तुरंत रोकने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

नवरात्रि के अवसर पर कुट्टू के आटे से संबंधित चेतावनी: दून पुलिस की अपील

नवरात्रि के पर्व के दौरान कुट्टू के आटे का उपयोग काफी सामान्य है, लेकिन हाल ही में कुछ ग्राहकों द्वारा कुट्टू के आटे का सेवन करने के बाद बीमार होने की घटनाएं सामने आई हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, करीब 90 व्यक्तियों ने कुट्टू के आटे का सेवन किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें बीमारियों का सामना करना पड़ा और उनका इलाज कोरोनेशन व दून चिकित्सालय में चल रहा है।

पुलिस द्वारा तत्काल इस मामले का संज्ञान लिया गया और जांच के दौरान यह पाया गया कि विकास नगर क्षेत्र के लक्ष्मी ट्रेडर्स व शिवपाल चौहान (जिनका गोदाम शिमला बायपास पटेल नगर क्षेत्र में भी है) द्वारा कुट्टू के आटे का क्रय किया गया था। इसके अलावा, निम्नलिखित स्टोर्स और गोदामों से भी कुट्टू का आटा वितरित किया गया:

  1. अग्रवाल ट्रेड स्टोर, दीपनगर

  2. लक्ष्मी स्टोर, बंजारा वाला

  3. संजय स्टोर, करनपुर

  4. शर्मा स्टोर, थाने से आगे रायपुर

  5. केदारपुरम, MDDA कॉलोनी, अग्रवाल ट्रेडर्स

  6. कोहली ट्रेडर्स, दर्शनी गेट

पुलिस ने तत्काल इन दुकानों और गोदामों से कुट्टू के आटे को जप्त कर लिया है और इस मामले में लगातार कार्रवाई जारी है।

अपील:

हम आम जनता से अनुरोध करते हैं कि यदि आपने विकास नगर, पटेल नगर या कोतवाली क्षेत्र के इन गोदामों या दुकानों से कुट्टू का आटा खरीदा है, तो कृपया उसका सेवन न करें। कुट्टू के आटे की प्रमाणिकता की पुष्टि के बाद ही उसका सेवन करें।

यह अपील जनहित में दून पुलिस द्वारा जारी की गई है।