बॉलीवुड फिल्मों में हर चौथी कहानी यह होती है: एक लड़का या लड़की को किसी से प्यार हो जाता है, लेकिन वह समझ नहीं पाते कि यह केवल आकर्षण है या सच्चा प्यार। उन्हें यह जानने में काफी उलझन होती है कि उनके अंदर जो तितलियाँ उड़ रही हैं, वह सिर्फ क्या है – कुछ पलों की आकर्षण या असली मेंहदी?
यहां हम इस स्थायी परेशानी को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। विज्ञानिक अध्ययन, शोध और रिलेशनशिप विशेषज्ञों के साथ हम देखने की कोशिश कर रहे हैं कि प्यार की पहचान कैसे की जाती है। वहां शामिल हैं ब्रेन के न्यूरॉन्स, जो प्यार के भावनात्मक अनुभव को कैसे प्रभावित करते हैं।
हेलेन फिशर, एक बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजिस्ट और किन्नेडी इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियाना यूनिवर्सिटी के सीनियर रिसर्च फैलो, ने अपने एक अध्ययन के माध्यम से यह देखा कि ‘लव, लस्ट, रोमांस’ की अलग-अलग स्थितियों में हमारे ब्रेन कैसे परिवर्तित होते हैं। उन्होंने विभिन्न रिलेशनशिप स्टेटस वाले लोगों के ब्रेन स्कैनिंग किए और देखा कि सच्चे प्यार में डूबे व्यक्ति के ब्रेन के इमोशनल सेंटर्स, जैसे कि अमिगडला, में न्यूरोवायरिंग होती है। ऐसा काजुअल सेक्सुअल इनकाउंटर या प्लेटॉनिक प्यार में दिखाई नहीं देता।
बिल्कुल, आपको अपना ब्रेन स्कैन करवाने की जरूरत नहीं है! प्यार को समझने के लिए आप खुद से कुछ महत्वपूर्ण संकेतों को ध्यान से समझ सकते हैं। यहाँ कुछ ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं जिनसे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या आपको प्यार हुआ है