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आयुर्वेद के नवरत्न : गांठ बांध लें ये नौ बातें, नहीं पड़ेंगे बीमार, कोसों दूर रहेंगी शारीरिक और मानसिक समस्याएं


नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। अनियमित दिनचर्या, गलत खानपान और अति व्यस्त लाइफ स्टाइल, शारीरिक और मानसिक समस्याओं की बड़ी वजह बनती जा रही है। हालांकि, प्राचीन काल से चले आ रहे आयुर्वेद के पास इन समस्याओं से निजात पाने का रास्ता भी है। ये समाधान ‘नवरत्न’ के रूप में हैं, जिन्हें ‘आयुर्वेद के नवरत्न’ कहा जाता है।


आयुर्वेद के इन नौ अनमोल रत्नों के बारे में भारत सरकार का आयुष मंत्रालय विस्तार से जानकारी देता है, जिन्हें अपनाने मात्र से तन और मन दोनों स्वस्थ व निरोगी बने रहते हैं। ये कोई दवाएं नहीं, बल्कि रोजमर्रा की आदतें हैं।

सबसे पहला रत्न है सुखद और पूरी नींद लेना, यही स्वास्थ्य और खुशी का सबसे बड़ा स्रोत है। दूसरा है रोजाना तेल से पूरे शरीर की मालिश करना, जिससे त्वचा अच्छी बनी रहती है। इससे शरीर को एनर्जी भी मिलती है। तीसरा है नियमित व्यायाम या योग, इससे शरीर चुस्त रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है। चौथा नियम है सुबह उठते ही दोनों नासिका में दो-दो बूंद तिल का तेल या गाय का घी डालना, जिसे नस्य कर्म कहते हैं, इससे सिर, बाल और सांस संबंधी रोग दूर रहते हैं।

पांचवां रत्न है खाना हमेशा सही समय पर और सही मात्रा में खाना, न ज्यादा न कम। छठा महत्वपूर्ण नियम है मल-मूत्र के वेग को कभी भी बलपूर्वक न रोकना। इसे रोकने से कई गंभीर बीमारियां जन्म लेती हैं। सातवां है दिनचर्या और ऋतुचर्या का सख्ती से पालन करना। सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना और मौसम के अनुसार खान-पान बदलना।

आठवां रत्न है च्यवनप्राश, अश्वगंधा, शिलाजीत जैसी चीजों का नियमित सेवन करना, जो शरीर को एनर्जी और लंबी उम्र देते हैं। नौवां और अंतिम रत्न है मौसम के बदलाव के अनुसार आयुर्वेद में बताए गए नियमों का पालन करना। गर्मी, बरसात और सर्दी में अलग-अलग आहार और रहन-सहन अपनाना।

आयुर्वेदाचार्य कहते हैं कि इन नौ बातों को गांठ बांध लें और जीवन में उतार लें तो कई बीमारियां अपने आप दूर रहेंगी।

–आईएएनएस

एमटी/एएस

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