केदारनाथ और हेमकुंड के लिए प्रस्तावित रोपवे प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है, जिससे इन धार्मिक स्थलों तक पहुंचना अब और भी आसान हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है, और अब इसकी शुरुआत के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
इस योजना के तहत, श्रद्धालु अब रोपवे के माध्यम से इन प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। खासतौर पर केदारनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे कठिन और ऊंचे स्थानों पर यात्रा को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे न केवल श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी, बल्कि यह पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
केदारनाथ और हेमकुंड दोनों ही तीर्थ स्थल उत्तराखंड में स्थित हैं और इन स्थानों तक पहुंचने के लिए यात्रियों को कठिन यात्रा का सामना करना पड़ता है। अब रोपवे के जरिए यात्रा को सुगम और सुविधाजनक बनाने से इन स्थानों पर आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
केदारनाथ रोपवे से यात्रा समय होगा घटकर 36 मिनट: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केदारनाथ रोपवे परियोजना को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का बड़ा फायदा यह होगा कि वर्तमान में केदारनाथ यात्रा में 8-9 घंटे का समय लगता है, लेकिन रोपवे बनने के बाद यह समय घटकर 36 मिनट रह जाएगा। इस रोपवे में 36 लोगों के बैठने की क्षमता होगी, जिससे यात्रा और भी सुविधाजनक हो जाएगी।
सोनप्रयाग से केदारनाथ तक बनने वाली रोपवे परियोजना का जिम्मा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के तहत नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड को सौंपा गया है। यह परियोजना तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को आसान और समय की बचत करने वाली साबित होगी, साथ ही पर्यटकों को एक नया अनुभव भी मिलेगा।
केदारनाथ रोपवे के बाद हेली सेवाएं सीमित होंगी, यात्रा होगी सुरक्षित और किफायती
केदारनाथ रोपवे बनने के बाद राज्य में हेली सेवाएं सीमित हो जाएंगी। हिमालय की सर्वाधिक खतरनाक घाटियों में से एक केदारनाथ के लिए हेली टैक्सी यात्रा बेहद जोखिम भरी मानी जाती है। इस कारण से, रोपवे बनने के बाद हेली सेवा से केदारनाथ की यात्रा करने का क्रेज कम हो जाएगा।
रोपवे और केबिल कार के माध्यम से यात्रा ज्यादा सुरक्षित और किफायती होने की वजह से यात्री इन माध्यमों को प्राथमिकता देंगे। साथ ही, रोपवे की यात्रा में समय की भी बचत होगी, जिससे यात्री इसे एक बेहतर विकल्प मानेंगे। ऐसी स्थिति में, हेली सेवाओं की मांग घटने की संभावना है, और वे सीमित हो जाएंगी।