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नासा के वैश्विक क्षुद्रग्रह खोज अभियान में जम्मू-कश्मीर के 9 छात्रों ने भाग लिया

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जम्मू, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। नासा के नागरिक विज्ञान परियोजना के तहत पहली बार जम्मू-कश्मीर के नौ छात्रों ने वैश्विक क्षुद्रग्रह खोज अभियान में भाग लिया।

अधिकारियों ने कहा कि कठुआ जिले के एक निजी स्कूल के नौ छात्रों ने अभियान में भाग लिया।

होमी लैब ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, अभियान 21 अक्टूबर से 15 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग (आईएएससी) के सहयोग से दिल्ली स्थित होमी लैब द्वारा आयोजित किया गया था।

प्रयोगशाला के एक प्रयोगशाला प्रवक्ता ने कहा कि यह पहली बार है कि कठुआ जिले के एक स्कूल ने नासा अभियान में भाग लिया है।

उन्होंने कहा, नासा के नागरिक विज्ञान परियोजना के हिस्से के रूप में, जो इस कार्यक्रम के तहत अमेरिका के हार्डिन सिमंस विश्वविद्यालय द्वारा संचालित है, आईएएससी और होमी लैब ने एक अनूठा मंच तैनात किया है, जो चयनित प्रतिभागियों को पृथ्वी के वास्तविक निकटवर्ती वस्तुओं और मुख्य रूप से क्षुद्रग्रह की खोज करने का एक जीवनभर का अवसर प्रदान करता है। इन्हें दिल्ली के कलाम केंद्र ने प्रशिक्षण सहायता दी थी।

प्रवक्ता ने कहा, नौ देशों के कुल 105 प्रतिभागियों को कठोर स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से दुनियाभर में चुना गया था और बाद में उन्हें डेटा का विश्लेषण करने और पृथ्वी के नजदीक संभावित क्षुद्रग्रहों को खोजने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, अभियान के अंत में युवा दिमागों ने नासा के नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (एनईओ) की खोज कार्यक्रम में पथ-प्रदर्शक योगदान दिया और तीन प्रारंभिक क्षुद्रग्रहों की खोज की। प्रारंभिक खोज मंगल ग्रह की कक्षाओं के बीच स्थित मुख्य बेल्ट में पाए जाने वाले क्षुद्रग्रहों का पहला अवलोकन है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि आमतौर पर इसमें पांच साल तक का समय लगता है, जिसके बाद क्षुद्रग्रह को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (आईएयू) के लघु ग्रह केंद्र द्वारा आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध किया जा सकता है।

विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि चयनित प्रतिभागियों को अत्यधिक विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान किया गया था।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, हवाई, यूए में स्थित पैन स्टार्स (द पैनोरमिक सर्वे टेलीस्कोप एंड रैपिड रिस्पांस सिस्टम) टेलीस्कोप से छवियों का विश्लेषण करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सॉफ्टवेयर है। धूमकेतु और क्षुद्रग्रहों की तलाश यानी आकाश का सर्वेक्षण करने के लिए 1.8 मीटर (60 इंच) टेलीस्कोप का उपयोग किया जाता है।

होमी लैब के संस्थापक और सीईओ श्रीजन पाल सिंह ने छात्रों को बधाई दी और कहा, ये खोजें हमारे आसपास के ब्रह्मांड के बारे में हमारे ज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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